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1984 के दौर में आधी सरकार ही भारतसिंह के हवाले थी- ओमप्रकाश सिंह भदौरिया

म.प्र. इंटक के अध्यक्ष श्री त्रिपाठी, पूर्व गृह मंत्री भारतसिंह को उज्जैन मिल मजदूर संघ ने अर्पित की श्रध्दांजलि

आरडी त्रिपाठी ने अपने जीवन का हर पल श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए समर्पित किया – श्री भदौरिया
उज्जैन। इंटक के राष्ट्रीय सचिव एवं म.प्र. इंटक के अध्यक्ष आरडी त्रिपाठी एवं म.प्र. के पूर्व गृह मंत्री भारतसिंह को उज्जैन मिल मजदूर संघ इंटक कार्यालय में श्रध्दांजलि अर्पित की गई।
उज्जैन मिल मजदूर संघ के अध्यक्ष ओमप्रकाशसिंह भदौरिया की अध्यक्षता में इंटक के राष्ट्रीय सचिव एवं म.प्र. इंटक के अध्यक्ष स्व. आरडी त्रिपाठी एवं म.प्र. के पूर्व मंत्री भारत सिंह के निधन पर शोकसभा आयोजित की गई। जिसमें सैकड़ों श्रमिकों, सेवादल के कार्यकर्ताओं की उपस्थिति में स्व. त्रिपाठीजी एवं स्व. भारतसिंह के जीवन पर अध्यक्ष ओमप्रकाशसिंह भदौरिया, संतोष सुनहरे कोषाध्यक्ष मजदूर संघ, राकेश कोठारी, रविंद्रसिंह भदौरिया, असगर खान, सुरेश सुलानिक, सीताराम, अनिल व्यास, मोतीलाल अखंड, रमेश शर्मा, किशोर सिंह भाट, रामनारायण जाटवा, एडवोकेट देवेंद्रसिंह भदौरिया, भूपेंद्रसिंह कुशवाह, लालचंद मालवीय, रामचंद्र सूर्यवंशी, लालूसिंह भदौरिया, वरिष्ठ श्रमिक नेता पं. हरिशंकर शर्मा ने शोक व्यक्त कर श्रध्दांजलि अर्पित की।
ओमप्रकाशसिंह भदौरिया ने कहा कि पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी जी के समय दो बार विधान सभा भोपाल से कांग्रेस के प्रत्याशी रहे, ट्रेड यूनियन भेल इंटक के आजीवन अध्यक्ष एवं इंटक के राष्ट्रीय सचिव एवं मध्य प्रदेश इंटक के प्रदेश अध्यक्ष एवं श्रमिकों/कर्मचारियों के संरक्षक आर. डी. त्रिपाठी जी का 5.12.2024 को निधन होने के कारण मध्य प्रदेश एवं सम्पूर्ण भारत वर्ष के श्रमिक जगत में शोक व्याप्त है। स्व. श्री त्रिपाठी जी का जीवन श्रमिकों के उत्थान के लिए समर्पित रहा मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार के समय श्रमिकों एवं सरकार के बीच द्विपक्षीय वार्ता एवं श्रमिक समझौतों हेतु हमेशा राजपत्र के माध्यम से नियुक्त किए जाते रहे है। उन्होंने अपने जीवन का हर पल श्रमिकों के हितों की रक्षा केलिए समर्पित किया है। श्री भदौरिया ने कहा कि अविभाजित मध्यप्रदेश के पूर्व गृहमंत्री भारतसिंहजी करीब तीन दशक पहले मंत्री रहे। जोशीली आवाज, उंची कद-कांठी और आत्म विश्वास भरा अंदाज पूर्व गृहमंत्री कुंवर भारतसिंह की स्थाई पहचान रही है। वैसे तो वे ७० और 9० के दशक में मंत्री रहे, लेकिन उनसे यदि चार दिन पहले तक भी कोई मिलता था तो लगता था किसी खास शख्सियत से मुलाकात हो रही है। शायद यही भारतसिंह जी का अंदाज था कि उनसे मुलाकात में आत्मीयता के साथ साथ अपनेपन का एहसास भी वे करवा देते थे। वे 1973 में पार्षद बने, 74 में मंडी डायरेक्टर, 78 में युवक कांग्रेस के जिलाध्यक्ष, 1980 में विधायक, 1982 में खेल एवं युवक कल्याण व वन मंत्री बन गए। 83 में गृह राज्य मंत्री रहे। 1984 के दौर में तो एक तरफ से आधी सरकार ही भारतसिंह के हवाले थी। क्योंकि इस दौर में वे केबिनेट में गृह एवं परिवहन मंत्री के साथ साथ उद्योग, जेल, श्रम सहकारिता सहित सात विभागों के मुखिया रहे।

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