धर्म-अध्यात्म

‘ईश्वर की प्राप्ति इसी जन्म में की जा सकती है’, विषय पर हुआ सत्संग

विशाल निरंकारी सत्संग में सैकड़ों निरंकारी भक्तों ने सुनी गुरु वाणी

उज्जैन। सतगुरू माता सुदीक्षाजी महाराज एवं निरंकारी राजपिताजी की असीम कृपा से कटनी से पधारे मिथिलेश चौबे के सानिध्य में विशाल निरंकारी सत्संग का आयोजन उज्जैन स्थित महाकाल सिंधी कॉलोनी में किया गया। जिसमें सैकड़ों निरंकारी भक्तों ने सम्मिलित होकर गुरु वाणी सुनी।
त्रिलोक बेलानी (मुखी) और मीडिया सहायक विनोद गज्जर ने बताया कि धार्मिक नगरी उज्जैन में सोमवार को शाम 5 से 7 बजे तक महाकाल सिंधी कॉलोनी में विशाल निरंकारी सत्संग का आयोजन किया गया। जिसमें ‘ईश्वर की प्राप्ति इसी जनम में की जा सकती है’, विषय पर सत्संग हुआ। कटनी से पधारे दास मिथिलेश चौबे ने बताया कि 5 तत्व से मिला शरीर मोन से ही प्राप्त हुआ है। इन पांच चीजों का मंथन कर पंच महाभूत बने वही आगे की ओर आकाश से शब्द हे, आवाज वायु से, स्पर्श अग्नि से तेज रूप, जल से रस और पृथ्वी से गंध इन्हीं पांच ओर पांच दस हो गए हैं। इन दस चीजों से मिलके आत्मा बनी ओर जब ये सब एक साथ मिल जाए तो आत्मा चेतन्य हो जाती है ओर इनसे चेतन्य आत्मा बनती है। अगर पांच ही माने तो छठे में आत्मा ही होती है। वही आगे धार्मिक नगरी उज्जयिनी का महत्व बताते हुए बताया कि राम यहां आए कृष्ण यहां आए विक्रमादित्य जैसे महाप्रतापी राजा यहां आए और कालों के भी काल महाकाल भी यहां विराजित हैं। सभी भाव में परम आत्मा विराजित थी जो ज्ञान दे कर गए उसे आज पूरा विश्व चल रहा है। श्री राम जी से लक्ष्मण ने पूछा जीव क्या है, भ्रम क्या है, माया क्या है, जिस पर राम बोलते हैं मोह माया भ्रम, सब माया ही तो है, तेरा मेरा ही माया है फिर जो क्या है जो स्वयं की भांजा नहीं करता वह जीव है। वही श्री कृष्ण का उल्लेख करते हुए कबीर दास जी का उल्लेख किया। निरंकारी सत्संग में सैकड़ों भक्त जन मौजूद रहे।

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