धर्म-अध्यात्म

महाकाल मंदिर की व्यवस्थाओं हेतु बने मंत्रालय, महाकाल मंदिर व महाकाल लोक के आयोग का गठन किया जाए

म.प्र. युवा शिवसेना गौरक्षा न्यास, हिन्दू टाईगर फोर्स ने कहा यात्रियों के लिए चुनौती बन जाते हैं महाकाल दर्शन

महाकाल मंदिर में व्यवस्थाएं सुधारने हेतु प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव के साथ ही महाकाल मंदिर प्रबंधक को लिखा पत्र
उज्जैन। महाकाल लोक बनने के बाद महाकाल मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या कई बार 4 से 5 लाख प्रतिदिन हो जाती है। वर्ष में लगभग 5 करोड से श्रध्दालु यहां दर्शन करने आ रहे हैं। यात्रियों को उज्जैन आगमन पर कई प्रकार की अनियमितताओं का सामाना करना पडता है। ऐसे में महाकाल मंदिर की व्यवस्थाओं हेतु एक मंत्रालय व महाकाल मंदिर व महाकाल लोक के आयोग का गठन किया जावें।
उक्त मांग करते हुए म.प्र. युवा शिवसेना गौरक्षा न्यास अध्यक्ष व हिन्दू टाईगर फोर्स के महासचिव मनीषसिंह चौहान ने पत्र लिखकर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव के साथ ही महाकाल मंदिर प्रबंधक से अनुरोध किया कि वर्तमान में उज्जैन में रेल्वे स्टेशन पर उतरते ही यात्रियों के सामने आने वाली चुनौती होती है कि वे आटो व ई रिक्शा मेजिक संचालको द्वारा मन माने ढंग से किराया वसूली करना और रात्री विश्राम हेतु उज्जैन में संचालित होटल संचालको द्वारा मनमाने किराया वसूली किया जाना जिसमें अधिकतर होटल संचालक आटो संचालक मुस्लिम समाज से है। जो यात्री अपने निजी वाहन या टैक्सी वाहन से उज्जैन पहुचते है उनके सामने आने वाली चुनौती में सबसे पहले उज्जैन यातायात पुलिस उनके साथ ऐसा व्यवहार करती है जैसे वह यात्री पाकिस्तान, बांगलादेश या अफगानिस्तान से आया हो। उसके वाहन की चेकिंग इस प्रकार की जाती है कि उसके अंदर बडी मात्रा में असला छुपा हो। बाद में वही पुलिसकर्मी 200-500 रूपये लेकर छोड देते है। उसके बाद वाहन पार्किंग में यात्री अपना वाहन पार्क करता है तो ठेकेदार प्रत्येक घंटा 50 से 100 प्रति घंटा के रूप में पार्किंग शुल्क की वसूली की जाती है और शुल्क नही देने पर यात्रीयों से मारपीट भी की जाती है और उनके वाहन के कांच फोड कर उनका सामान चोरी किया जाता है। ऐसे कई प्रकरण महाकाल थाना उज्जैन में दर्ज है। क्षेत्र में आने वाले यात्रियों को चाय, नास्ता, भोजन हेतु रेस्टोरेंट संचालकों द्वारा मनमानी ठंग से दुषित खाद्य सामग्री को बेचा जा रहा है जो कि पूर्ण रूप से खाने योग्य नही होती है जिससे यात्रियों का स्वास्थ्य भी खराब होता है। इसमें सबसे बडा दोषपूर्ण कार्य खाद्य विभाग द्वारा समय पर दुकानो के खाद्य सेम्पल नही लिये जाते है जिसके कारण दुकानदार बेखोफ रहते है। यात्रियों के साथ भस्मार्ती के नाम पर लगातार ठगी की जा रही है कई अपराध पंजीबद्ध हुए है जिसमें ऑनलाईन भस्मार्ति के रूपये लेकर ठगो के द्वारा रूपये लेकर फरार हो गये है। महाकाल थाने में ऐसे कई मामले पंजीबद्ध हो चुके है।
पूजन अभिषेक के नाम पर भी वसूली
मनीष सिंह चौहान ने पत्र में लिखा कि महाकाल मंदिर के पुजारियों के द्वारा भी यात्रियों से मनमाने ढंग से पूजन अभिषेक के नाम पर बडी वसूली की जाती है जिस पर महाकालेश्वर मंदिर समिति का कोई नियत्रण नही है।
दिन भर जाम, ट्राफिक पुलिस की नजर केवल वसूली पर
महाकाल मंदिर और महाकाल लोक के निर्माण से 1 किलोमीटर के एरिया में भयंकर ट्राफिक जाम की स्थिति पूरे दिन बनी रहती है। जिसमें यातायात पुलिस की कोई सहायता नही मिल पा रही है। चेकिंग के नाम पर यातायात पुलिस की नजर बाहरी यात्रीयों पर लगी होती है सभी कागजात पूर्ण होने के बाद भी 500 से 1000 रूपये की अवैध वसूली अधिकारीयों द्वारा की जाती है।
आपात मेडिकल की कोई सुविधा नहीं
महाकुंभ मेला, श्रावण मास, नाग पंचमी, शिवरात्री, नववर्ष, अमावस्या, मुख्य तिथि त्योहारों पर महाकालेश्वर मंदिर में यात्रियो की संख्या कई गुना अधिक हो जाती है। सडक मार्ग पर घंटों यात्रियों को जाम में इंतजार करना होता है भगवान के दर्शन हेतु। ऐसी स्थिति में महिला और पुरूष के शौच की व्यवस्था ना के समान है। बीमार यात्री को अगर कोई मेडिकल आपात की आवश्यकता होने पर कोई सुविधा उज्जैन प्रशासन के पास उपलब्ध नही होती है।
कलेक्टर को 20 लाख की आबादी वाले शहर को भी संभालना और महाकाल मंदिर भी
मनीषसिंह चौहान ने बताया कि वर्तमान में महाकाल मंदिर प्रंबधन समिति के अध्यक्ष जिला कलेक्टर उज्जैन को बनाया गया है। पूरे उज्जैन की आबादी लगभग 20 लाख की है ऐसे मे जिला कलेक्टर को महाकाल मंदिर की व्यवस्थाओं को भी देखना है साथ ही जिला के नागरिको की व्यवस्थाओं का ध्यान देना है। महाकाल मंदिर की गौशाला में 250 से अधिक गौमाता है। महाकाल मंदिर अन्न क्षेत्र में रोजाना 1 लाख या अधिक श्रद्धालुओ का भोजन होता है। ऐसे में महाकाल मंदिर समिति इतने बडे व्यवस्था को संभालती है उज्जैन पुलिस की व्यवस्था भी इसमें सहभागी होती है। प्रत्येक वर्ष श्रावण मास में प्रत्येक सोमवार निकलने वाले महाकाल की सवारी की व्यवस्था भी प्रशासन को देखना होती है। इन्ही कारणों को ध्यान में रखते हुए महाकाल मंदिर, महाकाल लोक आयोग का गठन किया जाना आवश्यक है यदि आयोग का गठन किया जाता है तो आयोग अध्यक्ष के साथ जो भी संचालक मण्डल होगा वह केवल महाकाल मंदिर से जुडी व्यवस्थाओं और यात्रियों से जुडी मूल सुविधाओं के लिये ही कार्य करेंगे। जिससे आने वाले श्रद्धालुओं को मिल सके। आज की स्थिति में यात्रियों को सुविधाओं के अभाव में दर्शन हेतु आने पर मध्य प्रदेश शासन, प्रशासन और भारत सरकार की बदनामी देश और विदेश में हो रही है। यदि आयोग का गठन किया जाता है तो महाकाल मंदिर के 500 मीटर के ऐरिया में अतिक्रमण मुक्त, होटल संचालक, वाहन पार्किंग, रिक्क्षा संचालक, भस्मार्ति के नाम पर लुटपाट, ऑनलाईन ठगी जैसे अनुचित कार्यो पर नियंत्रण किया जाना चाहिए।

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