गीता घर में रखने के लिए नहीं, जीवन में धारण करने के लिए है : डॉ जवाहरलाल द्विवेदी
माधव कालेज में दो दिवसीय गीता महोत्सव का समाहार

उज्जैन। श्रीमद् भगवत गीता घर में रखने के लिए नहीं, जीवन में धारण करने के लिए है। इसमें जीवन का सन्देश है। जो अपने पराए का भेद करता है, वह धृतराष्ट है। हम अपने क्षेत्र का कार्य करते हैं तो धर्म का ही कार्य करते हैं। अगर हम कर्तव्य से विमुख हो जाते हैं तो जीवन में अशांति पैदा हो जाती है। गीता के सन्देश को विश्व में फैलाने के लिए ही विश्व गीता प्रतिष्ठान की स्थापना हुई है।
ये उद्गार प्रधानमंत्री कालेज आफ एक्सीलेंस शासकीय माधव महाविद्यालय में गीता जयंती के दो दिवसीय आयोजन का समाहार करते हुए विश्वगीता प्रतिष्ठानम् के अध्यक्ष डॉ जवाहरलाल द्विवेदी ने व्यक्त किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ कल्पना सिंह ने की। कार्यक्रम को सारिका लोहाने मुम्बई ने संबोधित करते हुए कहा कि आपके विचार सकारात्मक हैं तो जीवन में सकारात्मकता रहेगी। डॉ एम पी वर्मा ने कहा कि गीता को पढ़ कर आप अपने आप को संवार सकते हैं। संस्कृतज्ञ डॉ. नलिनी तिलकर ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। कार्यक्रम संयोजक डॉ शोभा मिश्रा ने विषय प्रवर्तन किया। डॉ जफर महमूद ने संचालन किया। डॉ.मृदुल चन्द्र शुक्ल ने आभार माना। अध्यक्षीय उद्बोधन डॉ. कल्पना सिंह ने दिया। इस अवसर पर डॉ रफीक नागौरी, डॉ. दिनेश जोशी, डॉ सीमाबाला अवास्या, डॉ कंचन सासाने, डॉ दीपक भारती, डॉ किरण बड़ेरिया, डॉ रूबीना अर्शी, डॉ शानू खान सहित बडी संख्या में छात्र छात्राएं उपस्थित थे।