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उज्जैन ने महिला सुरक्षा के क्षेत्र में रचा कीर्तिमान

1 हजार लड़कियों ने लिया कलरिपयट्टू का प्रशिक्षण

उज्जैन। महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों को देखते हुए यह बेहद जरूरी है कि महिलाएं सबल हो और स्वयं कि रक्षा में समर्थ हो, सामाजिक स्तर पर महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए उनका शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत होना बेहद जरूरी है।

कलरिपयट्टू प्राचीन भारतीय युद्ध कला है जिसका प्रशिक्षण महिलाओं को आत्मरक्षा में निपुण बनाने में सहायक हो सकता है, इसीलिए उज्जैन कलारीपयट्टू संघ द्वारा 10000 महिलाओं के निःशुल्क प्रशिक्षण का आयोजन किया जा रहा है। जिसकी प्रथम कड़ी में महानंदा खेल परिसर में लगभग 1000 लड़कियों द्वारा आत्मरक्षा प्रशिक्षण शिविर के समापन समारोह में भाग लिया गया।


उज्जैन शहर एवं ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा सेवा भारती कन्या छात्रावास कि छात्राओं ने इसमें बड़चढ़ कर हिस्सा लिया। मुख्य अतिथि एडिशनल एस. पी. पल्लवी शुक्ला द्वारा म.प्र. पुलिस द्वारा महिलाओं संबंधित कानूनों के बारे में जानकारी दी गई। विशेष अतिथि शिवप्रतापजी एवं डॉ. सपना बूंदीवाल द्वारा कलारीपयट्टू जैसी युद्ध कला कि आज के दौर में महिलाओं के लिए उपयोगिता बताई गई। अखिल भारतीय ग्राम विकास संयोजक शंभुप्रसादजी द्वारा आज के सामाजिक परिवेश में महिला सुरक्षा के महत्व को रेखांकित किया गया। संस्था के सचिव एवं राष्ट्रीय खिलाड़ी विशाल और संस्था अध्यक्ष डॉ अविनाश द्वारा उज्जैन कलरिपयट्टू संस्था एवं कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी गई। कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रीतिजी ने कहा इस तरह के कार्यक्रम न सिर्फ महिलाओं में आत्मविश्वास जगाते हैं बल्की एक सामाजिक संदेश भी देते है कि महिलाओं के प्रति अपराध कम करना है तो समाज को आगे आकर महिलाओं को सशक्त बनाने कि पहल करनी पड़ेगी। कलरिपयट्टू जैसे खेल जो कि महिलाओं को शारीरिक एवं मानसिक रूप से मजबूत बनाते है को सरकार और शासन बढ़ावा दिए जाने कि जरूरत है।

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