24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ की पूर्णाहुति
यज्ञ ही कल्याण का हेतु है - आचार्य सूरत सिंह अमृते
गायत्री परिवार की बहनों के साथ मशाल हाथ में थाम कर नारी शक्तिकरण का संदेश
उज्जैन। महाकाल की नगरी उज्जैन में 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ की पूर्णाहुति 9 जनवरी को हुई। दीप यज्ञ में हजारों दीप जलाए गए।
भव्य दीपयज्ञ में नगर निगम सभापति कलावती यादव द्वारा गायत्री परिवार की बहनों के साथ मशाल हाथ में थाम कर नारी शक्तिकरण का संदेश दिया। आपने आचार्य अमृतेजी से आशीर्वाद लिया। अखिल विश्व गायत्री परिवार उज्जैन के आओ गड़े संस्कारवान पीढ़ी उप जोन समन्वयक उर्मीला तोमर ने बताया कि अद्भुत आयोजन को सफल बनाने में क्षेत्रीय निवासी एवं गायत्री परिवार के भाई बहनों का अतुलनीय प्रयास रहा। सह समन्वयक रजनी मीणा ने आभार व्यक्त किया। गीता पाटीदार, रक्षा नरवरे, शशि तोमर, वंदना पाठक, उमा तोमर, सुनीता शर्मा, निशा धनोतिया, शांति भट्ट, पंकज राजोरिया, चंद्रकला आर्य, उर्मिला जोशी, ममता निगम, रमेश लेवे, आरती वर्मा, बेलावतजी, महेश आचार्य, जे पी यादव, नरेंद्र सिकरवार, स्वाति चंदेरिया, प्रकाश खींची, बाडोलियाजी, अशोक मालवीय का विशेष सहयोग रहा।
उर्मिला तोमर ने बताया कि महायज्ञ दौरान 44 गुरु दीक्षा संस्कार संपन्न हुए। अखंड ज्योति एवं परम वंदनिया माता जी की जन्म शताब्दी वर्ष के लिए समाज सेवा के लिए दो जीवनदिनी 12 लोगों ने एक वर्ष का समय दान करने का संकल्प लिया। 3 महीने के 7 समय दानी, एक महीने के 16 समय दानी और सप्ताह में एक दिन के लिए 39 लोगों ने समय दान देने का संकल्प लिया। जो समाज के लिए एक श्रेष्ठ काम करेंगे। समाज के भटके हुए युवाओं को दिशा देंगे उन्हें नशा मुक्त करेंगे। व्यास सूरत सिंह अमृते ने पूर्णाहुति में बताया कि सारे संसार में विज्ञान ने बहुत शोध किया। आज विज्ञान का चमत्कार ही है। आदमी गुफाओं से निकल करके जिन्हें वनमानुष कहा जाता था। लेकिन बुद्धि का विकास करके गुफाओं में से कुटिया में आया होगा, झोपड़ी बनाया होगा फिर मकान बनाया होगा फिर धीरे-धीरे गांव बसे और गांव के बाद आज गांव शहर में तब्दील होने लगे बड़े-बड़े भवन बड़ी-बड़ी अट्टालिका है। यह सब है बुद्धि का विकास। विज्ञान का चमत्कार जो बड़ी-बड़ी गाड़ियां हैं आज हर गांव में रोड पहुंच गई है। आज डॉक्टर हैं, आज गांव गांव में मास्टर हैं, कंप्यूटर हैं, हॉस्पिटल हैं, स्कूल कॉलेज हैं और लोगों के पास बड़ी महंगी महंगी गाड़ियां हैं, सब कुछ होते हुए जीवन में शांति नहीं है। आज ना पढ़ा लिखा इंसान सुखी है ना आज अनपढ़ आदमी सुखी है ना गरीब सुखी है न अमीर के जीवन में शांति है न पंडित के जीवन में शांति है ना विद्वान के जीवन में शांति है। आज चारों तरफ अशांति ही अशांति है। तब समाधान क्या होगा।
पूर्ण आहुती में शांतिकुंज हरिद्वार से आए यज्ञ आचार्य सूरत सिंह अमृते ने कहा यज्ञ करना एक बड़ा अस्पताल खोलने के समान है। जिसमें अग्नित रोग ग्रस्तों एवं भविष्य में बीमार पढ़ने वालों का इलाज उनके घर में बैठे-बैठे ही हो जाता है यज्ञ एक समग्र उपचार प्रक्रिया है। यज्ञ पिता गायत्री माता ये है संस्कृति के निर्माता। उन्होंने वेद शास्त्रों के अनेकों उदाहरणों के माध्यम से बताया कि हमारे यहां पर गांव-गांव में घर-घर में यज्ञ हुआ करते थे। हर घर में गायत्री मंत्र का जाप होता था। हमारे देश में बच्चा-बच्चा गायत्री मंत्र बोलता था, यज्ञौ वही श्रेष्ठतम कर्म, यज्ञ संसार का सर्वश्रेष्ठ कर्म है। यज्ञ कामनाओं को पूर्ण करने वाला हैं।
ईजानाः स्वर्गं यन्ति लोकम्।।
-अथर्ववेद १८.४.२
यज्ञकर्त्ता स्वर्ग (सुख) को प्राप्त करते है ।
स्वर्ग की अभिलाषा रखने वाले व्यक्ति यज्ञ जरूर करें।
यज्ञ करने वाले का घर धन – धान्य से पूर्ण होता है।
यज्ञ से पर्जन्य की वर्षा होती है । उन्होंने बताया,ये शरीर यज्ञादि शुभ कर्मों के लिए है ।
स्वर्ग कामो यजेत्, पुत्र कामो यजेत्।।
स्वर्ग और अच्छे संस्कारी पुत्र की कामना करने वाले व्यक्ति यज्ञ जरूर करें ।इसलिए हमें यज्ञ का प्रचार करना चाहिए।
यज्ञो वै देवानामात्मा।।
– शतपथ ब्राह्मण महाभारत
यज्ञ देवताओं की आत्मा है।
वाल्मीकीय रामायण मैं आता है
यज्ञ करने वाले व्यक्ति के शत्रु भी मित्र बन जाते है। हमारे देश में जब से यज्ञ बंद हुए हैं चारों तरफ नफरत ही नफरत फैल रही है
अयज्ञियो हतवर्चा भवति।।