धर्म-अध्यात्म

19 साल बाद दुर्लभ संयोग, मकर संक्राति पर्व पर मंगल स्वग्रही भोम पुष्य योग

आसमान होगा लाल, जो विकास, खरीदारी, दान, पुण्य आध्यात्म के लिए शुभ दिन, सुर्य धनु राशि से शनि की मकर राशि में प्रवेश करेंगे

उज्जैन। 14 जनवरी 2025, मास- माघ पक्ष, कृष्ण तिथि- प्रतिपदा, वार- मंगलवार मकर संक्राति पर्व पर मंगल स्वग्रही भोम पुष्य योग बन रहा है। 19 साल बाद दुर्लभ संयोग पुष्य में संक्राति पर आसमान होगा लाल, जो विकास, खरीदारी, दान, पुण्य आध्यात्म के लिए शुभ दिन माना जायेगा।
श्री मांतगी ज्योतिष ज्योतिर्विद पं. अजय कृष्ण शंकर व्यास के अनुसार मकर संक्रांति, सूर्य देव के मकर राशि में प्रवेश करने के दिन मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओ के अनुसार 14 जनवरी 2025 माघ मास कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथि मंगलवार के दिन सुर्य धनु राशि से शनि की मकर राशि मे प्रवेश करेंगे। वैदिक पंचांग शास्त्र अनुसार वर्ष का राजा भी मंगल है और उत्तरायण में भी सौरमंडल के सेनानायक मंगल है।
ज्योतिर्विद पं. अजय कृष्ण शंकर व्यास ने बताया कि सनातन हिंदू वैदिक धर्म संस्कृति मे विशेष महत्व है। वैसे तो कुल बारह राशि में बारह संक्रांति होती है पर मकर राशि में सुर्य उत्तरायण होते है जो शुभता का प्रतीक है। मकर संक्राति पुण्य पवित्र दिन का विशेष महत्व होता है। अंधकार का नाश होता है, रोगग्रस्त जातक बच्चो को सुर्य की रोशनी से स्वास्थ्य संबंधित लाभ होता है। शुभ मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते है।
ज्योतिर्विद पं. अजय व्यास ने कहा कि वैदिक ज्योतिष के अनुसार, पुष्य नक्षत्र को बहुत शुभ माना गया है। इसे पुष्यमी या पूयम के नाम से भी जाना जाता है। यह नक्षत्र विकास, शुभता, धन, समृद्धि और आध्यात्मिक विकास का प्रतिनिधित्व करता है। ऋग्वेद में पुष्य को मंगल कर्ता, वृद्धि कर्ता और सुख समृद्धि देने वाला भी कहा गया है।
पं. अजय व्यास के अनुसार मकर संक्राति पर्व पर मंगल पुष्य योग बन रहा है जो खरीदारी, दान पुण्य के लिए शुभ दिन माना जायेगा। इस दिन सूर्य देव मकर में सुबह 8 बजकर 45 मिनट पर प्रवेश करेंगे। यह समय मकर संक्रांति का क्षण होगा। सुर्य उत्तरायण होने के साथ दिन बदलते है और बडे होने लगते है। सूर्य ने अग्नि को प्रतिपदा तिथि दी है जिसके स्वामी ब्रह्म भी है। ज्योतिर्विद पं. अजय कृष्ण शंकर व्यास के अनुसार सुर्य उत्तरायण होने पर सुर्य को अर्ध्य देकर पुजन किया जाता है। तीर्थ स्नान के साथ तिल, उडद, धान, खिचडी, गुड का दान किया जाता है। जिसके करने से पुण्य लाभ प्राप्त होता है। स्वास्थ्य संबंधित समस्या दुर होने लगती है। जो फसल आने और किसानो की खुशी का प्रतीक भी है।

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