पाठशाला
12 दिवसीय रिफ्रेशर कोर्स (हाइब्रिड मोड) में हुआ व्याख्यान
’रसायन विज्ञान को 21वीं सदी के परिपेक्ष के अनुसार डिजाइन करने की आवश्यकता’ और ’हरित से सतत और चक्रीय रसायन विज्ञान’ पर व्याख्यान दिया

उज्जैन। 17 फरवरी से 1 मार्च तक 12 दिवसीय रिफ्रेशर कोर्स (हाइब्रिड मोड) विक्रम विश्वविद्यालय के रसायन और जैवरसायन अध्ययनशाला द्वारा शासकीय माधव विज्ञान महाविद्यालय के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। इस रिफ्रेशर कोर्स के चौथे दिवस के सत्र में डॉ. ब्रजेश पारे, रसायन विभाग, माधव विज्ञान महाविद्यालय ने ’रसायन विज्ञान को 21वीं सदी के परिपेक्ष के अनुसार डिजाइन करने की आवश्यकता’ और ’हरित से सतत और चक्रीय रसायन विज्ञान’ पर अपना व्याख्यान दिया, जिसमें उन्होंने 21वीं सदी में रासायनिक नवाचारों, ब्लूम की टैक्सोनॉमी, रिवर्स ब्लूम टैक्सोनॉमी और समग्र विकास के लिए अंतःविषय शोध की आवश्यकता पर आधारित कुछ विषय शामिल किए।
डॉ. दीपेंद्र रघुवंशी, माधव विज्ञान महाविद्यालय ने ’कृत्रिम बुद्धिमत्ता के साथ रसायन विज्ञान अध्ययन और अनुसंधान में उभरते परिदृश्य’ पर व्याख्यान दिया। इस व्याख्यान श्रृंखला में डॉ. दीपक चोपड़ा, आईआईएसईआर, भोपाल, ने ’सिंगल क्रिस्टल एक्स-रे विवर्तनः सिद्धांत और अनुप्रयोग’ पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि कैसे तापीय ऊर्जा और गतिज ऊर्जा क्रिस्टलीकरण के लिए जिम्मेदार है। उन्होंने समरूपता और बिंदु समूहों के बारे में बात की, जिसमें स्क्रू धुरी, ग्लाइड प्लेन आदि के उदाहरण शामिल थे। अगले सत्र मे डॉ. अमित पॉल, आईआईएसईआर, भोपाल, ने ’साइक्लिक वोल्टामेट्री’ और ’इलेक्ट्रो-ऑर्गेनिक संश्लेषण के मूलभूत सिद्धांत’ पर व्याख्यान दिया। उन्होंने साइक्लिक वोल्टामेट्री विषय का परिचय देकर उनके प्रयोगात्मक सेटअप पर विस्तार से चर्चा की। अंतिम दिन ऑफ़लाइन मोड में पहला व्याख्यान प्रोफेसर रजनीश मिश्रा, आईआईटी, इंदौर द्वारा ’डोनर-एक्सेप्टर सिस्टम और इसके आधुनिक अनुप्रयोग’ पर दिया। उन्होंने डोनर-एक्सेप्टर क्रोमोफोर्स की चर्चा की जिसमें फेरोसीन युक्त यौगिकों का ऑक्सीडेशन और रिडक्शन शामिल था। उन्होंने फोटोकॉस्टिक इमेजिंग के बारे में भी बात की। प्रशिक्षण सत्र का समापन डॉ. नीरा शर्मा, हिंदू कॉलेज, नई दिल्ली ने किया। इस सत्र में सभी प्रतिभागियों ने ’केमस्केच’ सॉफ़्टवेयर और क्वांटम रसायन आधारित ’आर्ग्यूस्लेब’ सॉफ़्टवेयर का उपयोग करके संरचनाएँ बनाई। डॉ. नीरा शर्मा ने समझाया कि ये सॉफ़्टवेयर शोध कार्य में और शिक्षण में कैसे मदद करते हैं। इस सत्र के अंत में कुलगुरु प्रो. अर्पण भारद्वाज ने प्रतिभागियों को अर्जित ज्ञान से विद्यार्थियों को लाभान्वित करने के प्रयास करने का आह्वान किया. मुख्य अतिथि, डॉ अनिल जैन कालूहेड़ा, विधायक, उज्जैन तथा रसायन एवं जैवरसायन अध्यनशाला के पूर्व छात्र मौजूद थे, आपने अपने वक्तव्य मे नवीन इनोवेशन के लिए समस्त प्रतिभागियों को प्रेरणा दी तथा रसायन में पॉलीमराइजेशन की उपयोगिता बताते हुए सभी प्रतिभागियों को श्रृंखला बनाते हुए ज्ञान ग्रहण करने के लिए प्रेरित किया। प्रो. उमा शर्मा और प्रो. ब्रजेश पारे ने आभार माना।