समाज संसार

विनोबा भावे के साथी और मीसाबंदी देवव्रत पुनः पहुँचे अंकितग्राम, सेवाधाम आश्रम

जिला प्रशासन इन्दौर का धन्यवाद जिन्होंने मुझे सेवाधाम जैसे स्वर्ग में पहुँचाया और सुधीर भाई जैसे साथी मिले

उज्जैन। जिला कलेक्टर इन्दौर द्वारा गठित भिक्षावृत्ति उन्मूलन अभियान अधिकारी द्वारा 15 अप्रैल 2025 को अंकितग्राम, सेवाधाम आश्रम में माता अहिल्या की नगरी राजवाड़ा से भिक्षावृत्ति के आदि जिन्दगी से परेशान, बेघर, बेसहारा, सड़को पर नारकीय जीवन जीने को विवश बुजूर्गे देवव्रत चैधरी को 13 अन्य भिक्षुको के साथ प्रवेश हेतु भेजा।
एक माह बाद ज्ञात हुआ कि भिक्षुक देवव्रत चैधरी पैशे से इंजीनियर है, मीसाबंदी है जिन्हें विनोबा भावे के साथ 4 वर्ष सानिध्य प्राप्त हुआ, देवव्रत अत्यंत जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुँचे थे लेकिन जब जिला प्रशासन इन्दौर कलेक्टर आशीष सिंह को जानकारी प्राप्त हुई तो स्वयं संज्ञान लेकर महिला एवं बाल विकास विभाग के माध्यम से उन्हें उनके परिजनो तक पहुँचाया, सेवाधाम ने भी उनका मंगल तिलक, मालवी पगड़ी एवं शाल से सम्मानपूर्व विदा किया था। उनके दत्तक पुत्र जो कि ब्रजेश शर्मा पेशे से आर्किटेक्ट है और देवव्रत के साथी बालमुकुंद शर्मा के पुत्र है जिन्हें देवव्रतजी ने बैंक में अपना नॉमिनी बनाया किन्तु देवव्रत को अपनी पारिवारिक परेशानियों के चलते संभालने में असमर्थ होकर पुनः देवव्रत को अंकितग्राम, सेवाधाम आश्रम उनकी इच्छानुसार लेकर आए।
देवव्रत का कहना है जिला प्रशासन इन्दौर ने मेरे अंधियारे जीवन में प्रकाश दिया और नारकीय जीवन जीने के साथ भिक्षावृत्ति करने को मजबूर मुझे मेरे अंतिम जीवन में जीने का आसरा अंकितग्राम, सेवाधाम आश्रम दिया, इस हेतु प्रशासन का धन्यवाद देता हूं। अब मैं आश्रम में रहते हुए अपना अंतिम समय यही व्यतीत करते हुए स्वस्थ होने पर यहां निवासरत बच्चों को पढ़ाने की इच्छा रखता हूं। देवव्रत ने कहा कि उन्हें इन्दौर कलेक्टर ने ऐसे स्थल पर पहुँचाया है जहां प्रकृति का स्वर्ग है, यहां आकर वे बहुत खुश है सुधीर भाई भाईजी के रूप में उन्हें ऐसे साथी मिले है जिनकी सेवा से मैं अभिभूत हूं और मैंने पहले विनाबा भावे को देखा और अब उन्ही के रूप में सुधीर भाई को देख रहा हूं।
अंगदान व देहदान करेंगे देवव्रत
देवव्रत ने अंगदान और देहदान का संकल्प लिया उन्होंने बताया कि उनके दो भाई और तीन बहने है वह सभी सुखी सम्पन्न और पूर्ण रूप से सक्षम है, एक भाई रिटा. कर्नल है लंदन में रहते है उन्हें कोई भी रखना नही चाहता। इमरजेंसी में जय प्रकाश जी के साथ आंदोलन में साथ में रहकर 6 माह की जेल यात्रा भी की। श्री देवव्रत दैनिक स्वदेश अखबार में पत्रकार भी रहे इन्होंने अपने जीवन में बहुत लोगों की मदद की जो जरूरतमंद रहे किन्तु जीवन में विवाह नही हो पाया, इसका आज भी उन्हें खेद है।

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