धर्म-अध्यात्म
नगर कीर्तन में अवंतिकावासियों ने किया सामूहिक ओम नमः शिवाय जाप
लक्की ड्रा में खुली रामचरित मानस, बच्चों ने की रामचरित मानस एवं चौपाईयों पर चर्चा, 5 वर्षीय बालक ने सुनाया शिव तांडव स्तोत्र

उज्जैन। श्री हरि आध्यात्मिक सनातन सेवा संस्था द्वारा संपूर्ण श्रावण मास में किये गये ओम नमः शिवाय जाप की पूर्णाहुति 10 अगस्त को सामूहिक ओम नमः शिवाय जाप के सामूहिक नगर कीर्तन के साथ हुई। श्रावण मास में उज्जैन के साथ ही देश के विभिन्न शहरों और विदेशों में भी इस धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन हुआ और तय किये लक्ष्य 7 करोड़ ओम नमः शिवाय जाप से कहीं अधिक जाप हुए।
संयोजक हरिसिंह यादव ने बताया कि वाल्मिकी पीठाधीश्वर बालयोगी उमेशनाथजी महाराज के सानिध्य में श्रावण मास के प्रथम दिन से प्रारंभ हुए ओम नमः शिवाय जाप अनुष्ठान की पूर्णाहुति 10 अगस्त को हुई। इस दौरान विशेष अतिथि के रूप में मानव सेवा उत्थान समिति की संत रेणुकाजी, प्रभावती देवी, शहर कांग्रेस अध्यक्ष मुकेश भाटी, नेता प्रतिपक्ष रवि राय मौजूद रहे। उमेशनाथजी महाराज ने अपने आशीर्वचन में श्रद्धालुओं को ओम नमः शिवाय को अपने नित्य जीवन में उतारने का आव्हान करते हुए कहा कि रोज जाप करने से मन की शांति और शरीर में ऊर्जा की वृद्धि होती है। रामचरित मानस एवं चौपाईयों पर छात्रों ने चर्चा की। वहीं 5 वर्षीय बालक मुकुंद ने शिव तांडव स्तोत्र का वाचन किया। इस दौरान श्याम माहेश्वरी, भगवान शर्मा, मुकेश पाटीदार, जसवंत सिंह परमार, शैलेंद्र सिंह परिहार, सुरेश पोरवाल, नितिन शर्मा, गोपाल बागरवाल, छोटेलाल मंडलोई पार्षद, अजय तिवारी, विजय तिवारी, आनंद राय, महेश तिलक, महेंद्र यादव सहित सैकड़ों की संख्या में श्रध्दालु मौजूद रहे। संचालन प्रवीण जोशी ने किया एवं आभार हरिसिंह यादव ने माना।
हरि सिंह यादव ने बताया कि मध्य प्रदेश रामायण इकाई के द्वारा चलाए जा रहे राम चरित्र मानस के प्रचार प्रसार को लेकर तुलसी जयंती पर हुए विभिन्न विद्यालयों में हुए व्याख्यान में स्कूल स्तर पर विजेता विद्यार्थियों को भी इस अवसर पर पुरस्कृत किया गया। साथ ही रामायण इकाई उज्जैन के इस प्रकल्प को समाज में स्थापित करने के लिए प्रचारित करने के लिए श्री हरि आध्यात्मिक सनातन सेवा संस्था द्वारा उपस्थित महिलाओं को उपहार कूपन प्रदान किए गए। जिसमें 300 से अधिक महिलाओं ने टोकन डाले। इन कूपन के द्वारा चयनित 9 महिलाओं को एक-एक रामचरित्र मानस ग्रंथ उपहार स्वरूप प्रदान किये।