पाठशाला
धनवंतरी आयुर्वेद चिकित्सा महाविद्यालय में हुई गुरु शिष्य परंपरा की ट्रेनिंग
प्रशिक्षण कार्यक्रम मे आयुर्वेद ट्रेनिंग कोर्स एक्रीडिटेशन के बारे में सर्वप्रेशन के बारे में बताया

उज्जैन। शासकीय धन्वंतरि आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सा में राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ अंतर्गत आयुर्वेद प्रशिक्षण प्रत्यायन बोर्ड द्वारा एक दिवसीय सेंसटाइजेशन प्रोग्राम ऑन एक्रीडिटेशन आफ आयुर्वेद ट्रेंनिंग कोर्सेज प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि कलावती यादव सभापति नगर निगम रहे। डॉ विशाखा, डॉ अरुण गोयल, प्रभारी प्रधानाचार्य डॉ निमजे ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया। प्रशिक्षण कार्यक्रम संयोजक डॉ दिवाकर पटेल रहे। राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ नई दिल्ली से दो प्रशिक्षणार्थी डॉ विशाखा बाघ एवं डॉ अरुण गोयल ने प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम मे आयुर्वेद ट्रेनिंग कोर्स एक्रीडिटेशन के बारे में सर्वप्रेशन के बारे में बताया गया। कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में डॉ एस एन पांडे महामंत्री राष्ट्रीय आयुर्वेद एवं राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ गुरुजी, ओ पी व्यास, डॉ ओम प्रकाश पालीवाल मौजूद रहे। कार्यक्रम में डॉ नृपेंद्र मिश्रा, डॉ ओपी शर्मा, डॉ अजय कीर्ति जैन, डॉ. सुनीता डी राम, डॉ राम अरोड़ा, डॉ मुकेश गुप्ता, डॉ वंदना सराफ, डॉ संगीता गुप्ता, डॉ रामतीर्थ शर्मा, डॉ. निरंजन सराफ, डॉ आशीष शर्मा, डॉ नरेश जैन, डॉ प्रीति जैन, डॉ हेमंत मालवीय, संस्था आईएमओ डॉ. अनिल पांडे, डॉ सुनील पाटीदार, डॉ मंजू चौकसे एवं छात्र स्नातक सभी विद्यार्थी उपस्थित रहे। आभार डॉ नृपेंद्र मिश्र ने किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ नई दिल्ली, संयोजन हेतू डॉ दिवाकर पटेल का विशेष सहयोग हेतू शाल, श्रीफल से स्वागत किया गया।
राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ आयुष मंत्रालय की एक स्वायत्त संस्था है जो की फरवरी सन 1988 में स्थापित की गई गुरु शिष्य परंपरा को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से। गुरु शिष्य परंपरा के अंतर्गत भारतवर्ष के आयुर्वेदिक स्नातक आरएवी के गुरुजनों के सानिध्य में अपने ग्रह से ढाई सौ किलोमीटर दूरी पर स्थित गुरु के सानिध्य में रहकर क्लिनिकल प्रैक्टिस सीखता है जिसके लिए राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ उन्हें स्टाइपेंड भी प्रोवाइड कराती है गुरु शिष्य परंपरा के अंतर्गत गुरुजनों की विशिष्ट आयुर्वेद प्रैक्टिस का ज्ञान शिष्यों को प्राप्त होता है जिससे वह 1 साल पूरा होने पर अच्छे से आयुर्वेद प्रैक्टिस कर सकें। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ विभिन्न दिशाओं में विभिन्न क्रियाएं करता है जिसके अंतर्गत सेमिनार, वेबीनार, वर्कशॉप,सी एम ई, एटीएबी एक्रीडिटेशन प्रोग्राम आदि सम्मिलित है। इसके अलावा चरक आयतन, ज्ञान गंगा, द्रव्य गुन का फील्ड विजिट इत्यादि राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ के विभिन्न कार्यक्रम है जिसके द्वारा आयुर्वेद का प्रचार एवं प्रसार भारत तथा भारत के इधर अन्य देशों में भी किया जा रहा है।



