धर्म-अध्यात्म

उज्जैन में हुआ निरंकारी मिशन का जोन स्तरीय महिला समागम

महिलाओं ने सुनी गुरु वाणी, गीत, भजन, कविताओं और विचारों के माध्यम से सत्गुरू माता सुदीक्षाजी महाराज की शिक्षाओं पर आधारित प्रस्तुतियां दी

उज्जैन। उज्जैन में निरंकारी मिशन का जोन स्तरीय महिला समागम आयोजित किया गया। जिसमें सैकड़ों महिलाओ द्वारा महिला समागम में भाग लिया ओर गुरु बहन को सुन अपने जीवन को धन्य किया।


उज्जैन जोन के राजकुमारजी ने बताया कि पूरे देश में निरंकारी मिशन द्वारा महिला समागम आयोजित हुआ जिसमें उज्जैन के पंवासा जोन अंतर्गत भी महिला समागम आयोजित किया गया जिसमें सैकड़ों महिलाओं ने भाग लिया ओर गुरु वाणी सुनी। सत्संग में हर उम्र की नारीशक्ति ने गीत, भजन, कविताओं और विचारों के माध्यम से सत्गुरू माता सुदीक्षाजी महाराज की शिक्षाओं पर आधारित प्रस्तुतियां दी। संत निरंकारी मिशन द्वारा महिलाओं को आध्यात्म से जोड़ने के लिए जोन स्तर का महिला समागम उज्जैन में के संत निरंकारी सत्संग भवन में आयोजित किया गया, जिसमें संभाग सहित आसपास की बहने शामिल हुई। उन्होंने कहा कि एक महिला विविध भूमिकाएं निभाती है, जो बेटी, बहन, पत्नी और मां के रूप में अपनी अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करती है। बच्चों के प्रारंभिक जीवन को संवारने का कार्य भी एक महिला मां के रूप में करती है। अगर हम चाहते हैं कि हमारी बेटियां सुसराल में सुखी रहे, तो हमें भी अपनी बहुओं को बेटी मानकर खुशियां देनी होंगी। घर को स्वर्ग बनाने के लिए सास – बहु का रिश्ता हो या पति – पत्नी का रिश्ता, हमें हर रिश्ते को प्रेम, विश्वास, समर्पण से मजबूत बनाना होगा, इसके लिए महिलाएं घर के काम करने के साथ अपनी सेहत का भी ध्यान रखें, हर जगह सचेत रहें, साथ ही मानसिक तनाव से बचने के लिए अच्छे साहित्य पढ़ें।
वही भोपाल से पधारी दासी अनीता बेन सोनी ज्ञान प्रचारक ने अपने उद्बोधन में श्री कृष्ण की लीलाओं का वर्णन कर माखन मिश्री की बात कर सबको उचित राह पर चलने का मार्ग प्रशस्त किया। ओर बताया कि सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज जहां बाल समागम के माध्यम से बच्चों को संस्कारित कर रहे हैं, वहीं महिला समागम के माध्यम से घर परिवार को स्वर्गमय वातावरण प्रदान कर रहे हैं। वर्तमान परिस्थितियों में हर परिवार को सही माहौल जरूरी है, इसके लिए सर्वप्रथम महिलाएं आध्यात्म से जुड़े जिससे घर परिवार का वातावरण सुंदर और सुखद बने। जीवन में बदलाव के लिए सत्संग बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि सत्गुरू से ब्रह्मज्ञान प्राप्त करें, क्योंकि परमतत्व परमात्मा का बोध हमें मानवीय गुणों से सुशोभित करता है।

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