हिंदी भाव अभिव्यक्ति का सशक्त साधन है : प्रो कल्पना सिंह
हिंदी वैज्ञानिक भाषा है : प्रो प्रेमलता चुटेल

माधव कॉलेज में हिंदी वैश्विक भाषा पर संगोष्ठी
उज्जैन। वैश्विक स्तर पर एकता और संस्कृति का संदेश भारत ही दे सकता है। हिंदी एक वैज्ञानिक भाषा है। हम हिंदी वासी प्रदेश के नागरिक हैं। हमारे बोलने और लिखने में त्रुटि नहीं होना चाहिये।
यह उद्गार माधव कॉलेज में भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित हिंदी भाषा पर केंद्रित सारस्वत संगोष्ठी में विदुषी प्रो प्रेमलता चुटेल ने व्यक्त किये। अध्यक्षीय उद्बोधन में प्राचार्य प्रो कल्पना वीरेंद्र सिंह ने कहा कि हिंदी भावों को अभिव्यक्त करने का सशक्त माध्यम है। हम जैसा बोलते हैं वैसा ही अभिव्यक्त हिंदी भाषा में कर सकते हैं। भारतीय संस्कृति और भारत को जोड़ने का काम हिंदी ने किया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी मातृभाषा के महत्व को प्रतिपादित किया गया है। हमारे क्षेत्र की मातृभाषा हिंदी है। हमारे प्रदेश में चिकित्सा और तकनीकी शिक्षा की पाठ्य पुस्तकें हिंदी में उपलब्ध हैं। संगोष्ठी के सारस्वत अतिथि साहित्यकार संतोष सुपेकर ने कहा कि आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती है। इस अवसर पर हम हिंदी की वैश्विकता पर चर्चा कर रहे हैं। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में सुभाष चंद्र बोस के जीवन की मार्मिक कथा को बयान करने वाली कविता भी सुनाई।
संगोष्ठी में साहित्यकार मानसिंह शरद ने हिंदी दिवस पर आधारित व्यंगात्मक लघु कथा वैरीगुड को प्रस्तुत किया। एक स्वर से बोलते हैं हम, यह तिरंगा हमारा है, कविता भी सुनाई। डॉ रफीक नागौरी ने दिल वही दिल है,जो तस्वीर वतन बन जाए कविता पेश की। डॉ पोप सिंह परमार ने उज्जैन तो है स्वर्ग से ही प्यारा और हिंदी विश्व भाषा पर अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया। डॉ केदार गुप्ता ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत कर कविता सुनाई। स्वागत वक्तव्य भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ प्रभारी डॉ शोभा मिश्रा ने प्रस्तुत किया। पराक्रम दिवस पर उन्होंने पिता पर रचित कविता का वाचन किया। संचालन डॉ जफर महमूद ने किया। आभार डॉ सीमा बाला अवस्या ने व्यक्त किया।
डॉ के एम शर्मा, डॉ केदार गुप्ता, डॉ मोहित पांचाल, डॉ नीरज सारवान, डॉ नलिनी तिलकर, डॉ शैलजा साबले, डॉ किरण बडोरिया, डॉ दीपक भारती ने संगोष्ठी में भागीदारी की। कार्यक्रम में प्राचार्य डॉ कल्पना वीरेंद्र सिंह ने अतिथि साहित्यकारों का सारस्वत सम्मान किया।