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सावित्रीबाई फुले ने शिक्षा को सामाजिक बदलाव का माध्यम बनाया, उनके स्वप्नों को पुनर्जीवन दे रहे विक्रम विश्वविद्यालय – कुलगुरु प्रोफेसर अर्पण भारद्वाज

सावित्रीबाई फुले के जन्मदिन पर विक्रम विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने श्रमिक बस्ती के बच्चों के साथ मनाया उत्सव

उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने सावित्रीबाई फुले के जन्मदिन के अवसर पर श्रमिक बस्ती के बच्चों के साथ एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया। यह आयोजन “सावित्री“ क्लब द्वारा किया गया, जो सेवा के माध्यम से सशक्तीकरण सिद्धांतों पर आधारित विश्वविद्यालय का एक सार्वजनिक कल्याण क्लब है।
सावित्री क्लब का उद्देश्य वंचित तबकों के बच्चों को शिक्षा और मार्गदर्शन प्रदान करने के साथ-साथ समाज को सशक्त बनाने के लिए प्रभावशाली सार्वजनिक कल्याण परियोजनाओं पर कार्य करना है। क्लब के मुख्य समन्वयक एवं सदस्यों सृष्टि राज, मनीष बैरवा, दिव्यांश श्रीवास्तव, त्रिलोक झा, रुशान अब्दुल्ला (बायोटेक्नोलॉजी विभाग), और प्रिया कुमारी (फॉरेंसिक साइंस विभाग) ने बताया कि “हम समाज में सकारात्मक बदलाव लाने और दीर्घकालिक प्रभाव छोड़ने का प्रयास कर रहे हैं. कार्यक्रम के दौरान विद्यार्थियों ने सावित्रीबाई फुले के जीवन, उनके संघर्ष और शिक्षा के प्रति उनके योगदान पर प्रकाश डाला। “सावित्री“ क्लब के सदस्य पिछले एक महीने से नियमित रूप से बस्ती के बच्चों को पढ़ा रहे हैं। उनका उद्देश्य इन बच्चों को शिक्षा के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाना और उनके उज्जवल भविष्य की दिशा में मार्गदर्शन देना है। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर अर्पण भारद्वाज विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। यह उत्सव उनके प्रेरणादायक दृष्टिकोण से प्रभावित था और उन्होंने इस पहल की सराहना करते हुए इसे समाज के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
इस अवसर पर विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. अर्पण भारद्वाज ने अपने संबोधन में कहा कि सावित्रीबाई फुले ने शिक्षा को सामाजिक बदलाव का माध्यम बनाने का सपना देखा था और विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा इसे साकार होते देखना प्रेरणादायक और गर्व का विषय है। विद्यार्थियों द्वारा कार्यक्रम के दौरान बच्चों के साथ सांस्कृतिक गतिविधियां आयोजित की गईं। इस आयोजन ने शिक्षा के महत्व को रेखांकित किया और समाज में समानता और समावेशिता के विचारों को प्रोत्साहित किया।

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