सर्वधर्म सम्भाव के लिए ’गीता भारती’ की रचना सराहनीय प्रयास : प्रो. अर्पण भारद्वाज
आध्यात्मिक रचनाकार पंडित मुस्तफ़ा आरिफ ने गीता भारती योजना से अवगत कराया

उज्जैन। भगवद गीता के संदेश को जन जन तक पहुंचाना जन सामान्य को कर्म से जोड़ना है। गीता भारती की रचना कर पंडित मुस्तफ़ा आरिफ ने सर्वधर्म सम्भाव की भावना को बलवती करने की दिशा में एक अतुलनीय भूमिका निभाई है।
यह बात विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरू प्रो. अर्पण भारद्वाज ने कही। आध्यात्मिक रचनाकार पंडित मुस्तफ़ा ने विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरू अर्पण भारद्वाज से भेंट कर गीता भारती की रचना की जानकारी देते हुए बताया कि भगवद गीता के ७०० पदो को ७८६ पदो में हिंदी पदावली में लिख रहें है। संगीत निर्देशन और संपादन राजीव शर्मा ’शर्मा बंधु’ कर रहे है। उन्होने श्री भारद्वाज को प्रारंभिक ६ पदो की तस्वीर भेंट की। श्री भारद्वाज 7 फरवरी को प्रयागराज महाकुंभ स्नान के लिए रवाना हो गए। पंडित मुस्तफ़ा आरिफ एवं कवि लक्ष्मण पाठक ने उन्हें पुष्प हार अर्पित कर विदाई दी।
इस अवसर पर विशेष रूप से उपस्थित पूर्व उप कुलपति प्रोफेसर बालकृष्ण शर्मा ने कहा भारत की ज्ञान परम्परा में श्रीमद्भगवद्गीता का अनुपम स्थान है। इस ग्रंथ को सभी उपनिषदों का सार कहा गया है। ज्ञान, कर्म और भक्ति की त्रिवेणी का संगम गीता में है।
पंडित मुस्तफा आरिफ़ की आध्यात्मिक रुचि ने सहज ही उन्हें गीता की ओर आकृष्ट किया है। वे मानवता को गीता द्वारा दिये गये दिव्य संदेश को “गीता भारती” के माध्यम से प्रस्तुत करने का प्रशंसनीय प्रयास कर रहे हैं।
कवि अशोक भाटी ने पंडित मुस्तफ़ा आरिफ की आध्यात्मिक रचना धर्मिता के बारे में बताया कि हाल ही में कुरान शरीफ के कर्म प्रधान आध्यात्मिक पक्ष से प्रेरित होकर १०००० पद १८ अध्याय की ईश स्तुति की रचना का ऐतिहासिक कार्य पूर्ण किया है। उसके पूर्व शिव जी से आसक्त होकर ’शिव महिमा’ का लेखन कर चुके है।
इस अवसर पर पंडित मुस्तफ़ा आरिफ ने अपनी हाल ही प्रकाशित पुस्तक ’एक है ईश्वर’ की प्रति उपस्थित अतिथियों को भेंट की। इस अवसर पर शैलेन्द्र व्यास स्वामी मुस्कुराके, व्यंग्य लेखक हरीश कुमार सिंह एवं साहित्यकार लक्ष्मण पाठक उपस्थित थे।