प्रशासनिक
समस्याओं के समाधान के लिए आशा कार्यकर्ताओं ने किया धरना प्रदर्शन
धरने पर गाए भजन, किया मातृशक्ति पुलिसकर्मियों का सम्मान

उज्जैन। आशा कर्मचारियों को ईपीएफओ एवं ईएसआईसी के अंतर्गत लाया जाए। आशा कार्यकर्ताओं को सामाजिक सुरक्षा के तहत रू. 18,000 प्रतिमाह न्यूनतम वेतन प्रदान किया जाए एवं उन्हें सरकारी कर्मचारी घोषित कर पेंशन और बीमा का लाभ दिया जाए। कार्य के दौरान दुर्घटना अथवा मृत्यु होने पर पाँच लाख रूपये मुआवजा दिये जाने की मांग सहित 9 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन आशा एवं सहयोगिनी कार्यकर्ता महासंघ के बैनर तले प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री के नाम सौंपा गया।
महासंघ की प्रदेश महामंत्री सुमन पटेल ने बताया कि उज्जैन जिले में कार्यरत आशा कर्मियों (आशा कार्यकर्ता, सुपरवाईजर) द्वारा दी जाने वाली सेवाओं तथा उसके एवज में प्राप्त होने वाले अल्प प्रोत्साहन तथा मान धन सहित अनेक न्यायोचित मांगों पर ध्यान आकर्षण करने हेतु कलेक्टर कार्यालय के समक्ष धरना प्रदर्शन किया गया। धरना प्रदर्शन के दौरान भजन गाए वहीं प्रदर्शन के दौरान ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी मातृशक्तियों का सम्मान भी किया गया।
सुमन पटेल ने कहा कि 11 सितंबर 2018 को प्रधानमंत्री ने वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से आशा वर्कर्स से वार्तालाप करते हुए, आशा वर्कर्स के प्रोत्साहन को दोगुना करने का एलान किया था। किंतु तदाशय के सम्बंध में जब सम्बंधित मंत्रालय से पत्र प्राप्त हुआ तो उसमें केवल रुटीन एण्ड रिकरिंग प्रकृति के अन्तर्गत संचालित पांच प्रकार की गतिविधियों, कार्यों हेतु मिलने वाला प्रोत्साहन राशि रू. 1000 को बढ़ाकर रू. 2000 कर दिया गया। शेष गतिविधियों / कार्यों हेतु वर्तमान में निर्धारित प्रोत्साहन की राशि दर को यथावत रखा गया है इसमें किसी भी प्रकार की कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। इसके कारण पूरे देश में कार्यरत आशा वर्कर्स कर्मचारियों में हताशा व्याप्त है। आशाएं अपने-आपको ठगा सा महसूस कर रही हैं।
आशाकर्मियों की सेवा के बाद मृत्युदर में कमी आई
सुमन पटेल ने बताया कि जब से आशा वर्कर्स, कर्मचारियों ने देश में कार्य करना प्रारंभ किया है जच्चा-बच्चा की मृत्यु दर लगातार कम हो रही है। उपरोक्त कार्यों के साथ-साथ अन्य प्रकार के कार्य जो भारत की समस्त राज्य सरकारें हम आशा कर्मियों से संचालित करवाती हैं यह समस्त कार्य भी महिला एवं बाल विकास विभाग, राजस्व विभाग, सामाजिक कल्याण विभाग, स्वास्थ्य विभाग तथा अन्य विभागों से सम्बंधित है। यह वही कार्य हैं जो भारत के राज्यों में राज्य सरकारी कर्मचारी भी करते हैं। इसलिए आशा कार्यकर्ता आशा सहयोगिनी को मानधन के स्थान पर राज्य कर्मचारी की तर्ज पर न्यूनतम वेतन का भुगतान किया जाए।
प्रधानमंत्री की घोषणा का तत्काल पालन हो
ज्ञापन के माध्यम से मांग की कि आशा वर्कर्स, कर्मचारियों को न्यूनतम रूपये 18000 प्रतिमाह वेतन भुगतान सुनिश्चित किया जाए। इस भुगतान को प्रभावी होने तक वर्तमान में भिन्न-भिन्न गतिविधि, कार्य हेतु लागू, प्रभावी सभी प्रोत्साहन राशि को दुगना करके इसका भी भुगतान 1 अक्टूबर 2018 से सुनिश्चित किया जाए। मोदी जी द्वारा लोकसभा में आशा कर्मचारियों को निश्चित मानदेय देने की घोषणा का पालन करने हेतु आदेशित किया जावे। अनुभवी आशा कर्मचारियों को टीकाकरण प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाए। प्रत्येक वर्ष दो बार आशा कर्मचारियों को गणवेश दिया जाए अथवा ड्रेस भत्ता प्रदान किया जाए। चिकित्सालयों में विश्राम स्थल की व्यवस्था की जाए तथा यात्रा भत्ता प्रदान किया जाए। कोविड-19 के दौरान सरकार द्वारा घोषित रू. 10,000 की राशि का तत्काल भुगतान किया जाए। आशा कार्यकर्ताओं एवं सुपरवाइजर को 60 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त करने का प्रावधान समाप्त किया जाए एवं जब तक उनमें कार्य करने की क्षमता हो, उन्हें कार्य करने दिया जाए। 29 जुलाई 2023 को मध्य प्रदेश सरकार द्वारा आशा कार्यकर्ताओं को दिए गए 10 अंक एवं रू. 1,000/- की वार्षिक वृद्धि को तुरंत लागू किया जाए। साथ ही, सुपरवाइजरों की वेतन वृद्धि हेतु सलाहकार समिति का निर्णय तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए।
सुमन पटेल ने कहा कि आशा कार्यकर्ता भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था की रीढ़ हैं। वे गर्भवती महिलाओं, नवजात शिशुओं, टीकाकरण एवं ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उनके अधिकारों और न्यूनतम वेतन की अनदेखी उनके साथ अन्याय है। इसलिए प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री से निवेदन किया कि मांगों को शीघ्र पूरा करने हेतु आवश्यक कदम उठाए जाएं।