विधायक को तवज्जों नहीं, महापौर की कोई सुन नहीं रहा
नेता प्रतिपक्ष रवि राय ने कहा सत्ताशीन भाजपा नेताओं को बोलना पड़ रही विपक्ष की भाषा
महापौर को धरने पर बैठने की क्या जरूरत, धरने पर तो विपक्ष बैठता है, जनता बैठती है
उज्जैन। भाजपा के विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा को नगर निगम के अधिकारी तवज्जों नहीं दे रहे वहीं महापौर मुकेश टटवाल की कोई सुन नहीं रहा, उनका ये हाल है कि शहर के चैम्बर के लिए उन्हें धमकी देना पड़ रही कि मैं धरने पर बैठ जाउंगा।
नेता प्रतिपक्ष रवि राय ने भाजपा के नेताओं, विधायक, नगर के प्रथम नागरिक महापौर की ऐसी स्थिति पर कहा कि ये सत्ताशीन भाजपा नेता है जिनको विपक्ष की भाषा बोलना पड़ रही है। महापौर को धरने पर बैठने की क्या जरूरत, धरने पर तो विपक्ष बैठता है, जनता बैठती है, आप तो सत्ता की कुर्सी पर बैठे हो आपको अधिकारियों को बैठाकर काम कराना चाहिये। शहर में सैकड़ों चैम्बर टूटे हैं, इतनी सी समस्या को सुधारने के लिए धरने की धमकी देना ऐसा लगता है कि अब नगर निगम के इस बोर्ड में जनप्रतिनिधियों का कोई दबाव नहीं बचा। वर्तमान में विधायक हो या महापौर इनका कोई दबाव नहीं रहा। एक विधायक को कोई बुला नहीं रहा, उनके फोटो नहीं लगा रहा, वो इस बात के लिए लड़ रहे हैं, बौखलाहट में कह रहे कि मकान तोड़ दो लोगों के, विधायक जी के फोटो नहीं लगे तो लोगो के मकान क्यों तोड़ दे नगर निगम।
दरअसल जितने भी जनकल्याण के शिविर लग रहे उनमें केवल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के ही फोटो लग रहे हैं। विधायक के फोटो नहीं लग रहे, इस पर विधायकजी नाराज हो रहे कह रहे कि मेरा फोटो क्यों नहीं लगाया इसमें, किसके फोटो लगेंगे यह तो उपर से निर्णय हो रहा। रवि राय ने कहा कि नगर निगम के कार्यक्रमों में विधायक के फोटो क्यों लगेंगे। विधायक का काम विधानसभा में, नगर निगम के कार्यों के लिए तो पार्षद, महापौर, निगम सभापति बैठे हैं, उनके लग जाए यही बहुत है।
रवि राय ने कहा ऐसा लग रहा है कि भाजपा के लोगों की आदत हो गई है धरने पर बैठने की। अधिकारी सुन नहीं रहे, या तो इनमें योग्यता नहीं है। कभी महापौर कहते हैं कि एमआईसी ठहराव की समीक्षा कराओ, समीक्षा करते हैं तो पता पड़ता है कि ठहराव का कोई पालन ही नहीं हुआ। आयुक्त नगर निगम नगर निगम में बैठते नहीं, महापौर के आदेश का पालन करते नहीं हैं, सत्ताशीन भाजपा लगातार चुनाव जीतती आ रही है, तो वह ऐसे लोगों को नेतृत्व क्यों नहीं दे रही जो केवल सत्ता की सवारी नहीं करे बल्कि ऐसे नेता बैठाए जाएं जो अधिकारियों से काम करा ले। जनता तो इनको वोट देने के बाद खुद को ठगी महसूस कर रही है। भाजपा के पार्षद अधिकारियों के साथ मारपीट कर रहे क्योंकि उनकी कोई सुन नहीं रहा। ये भाजपा का राज है या जंगलराज है।