पाठशाला

विद्यार्थियों, जनमानस में पर्यावरण के प्रति फैलाई जागरूकता

पर्यावरण शिक्षण कार्यक्रम के तहत पर्यावरण, वन मंत्रालय के निर्देशानुसार शा. माधव विज्ञान महाविद्यालय के इको क्लब द्वारा कार्यशाला, प्रकृति भ्रमण, मिलेट, प्रदर्शनी एवं प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया

उज्जैन। सतत जीवन शैली पर आधारित ईईपी के अंतर्गत महाविद्यालय में समस्त कार्यक्रमों का आयोजन प्राचार्य डॉ. हरिश व्यास एवं इको क्लब संयोजक डॉ. मनमीत कौर मक्कड़ के मार्गदर्शन में किया गया।
कार्यक्रमों का उद्देश्य विद्यार्थियों, एवं जनमानस में पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाना एवं पर्यावरण की रक्षा करना है। महाविद्यालय में 6 जनवरी को बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट प्रतियोगिता आयोजित की गई, जिसमें 13 विद्यार्थियों ने सहभागीता की एवं सभी सहभागियों को प्रमाण पत्र दिया गया। इसके अलावा रांगोली प्रतियोगिता, निबंध प्रतियोगिता, पोस्टर एवं गमला सजाओं प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गई।
8 जनवरी को मिलेटस मेला विद्यार्थियों के द्वारा लगाया गया जिसमें 21 विद्यार्थियों ने भाग लिया। विद्यार्थियों ने मोटे अनाज से निर्मित व्यंजनों की रेसिपी बनाई व मिलेटस के पोषक तत्त्वों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने अपने व्यंजनों को बेचा, जिसे महाविद्यालयीन परिवार एवं विद्यार्थियों के द्वारा खरीदा गया है एवं प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय सहभागी को पुरूस्कृत किया गया। जिसमें सभी सहभागियों को प्रमाण पत्र दिया गया। इस प्रदर्शनी में संभाग के अतिरिक्त संचालक डॉ. अनिजवाल मुख्य अतिथि के रूप में थे। विशिष्ट अतिथि के रूप में अग्रणी महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. वंदना गुप्ता ने बताया कि पहले मोटे अनाजों को गरीबों का भोजन कहा जाता था पर अब ये अमीरों के भोजन में शामिल है। प्राचार्य डॉ. हरीश व्यास अध्यक्षीय सम्बोधन में विद्यार्थियों के इस सफल आयोजन व स्वादिष्ट व्यंजनों के लिए विद्यार्थियों की तारीफ की और कहां कि ऐसे ही इनोवेटिव आयोजन किये जाने चाहिये।
17 फरवरी को सतत जीवन शैली कार्यशाला के अंतर्गत इकोक्लब के द्वारा नर्सरी प्रबंधन पर एक दिवसीय कार्यशाला का अयोजन किया गया, जिसमें 75 विद्यार्थियों ने एवं 6 प्राध्यापकों ने भी भाग लिया। जिसका उद्देश्य प्राकृति का महत्व समझना एवं नर्सरी प्रबंधन में रोजगार की सम्भावनाएं खोजना था। पेड़ पौधों की कैसे देख रेख करना। कौन से मौसम में कौन सा पौधा लगाना, पौधे लगाने की तकनीक सीखना आदि है। कार्यशाला में विद्यार्थियों को लंच पैकेट जूट के बैग, पैन, लेटर पैड, बैजेस वितरीत किए गए। कार्यशाला की कार्यक्रम अधिकारी डॉ. पुष्पा जाटवा ने अंत में आभार प्रदर्शित किया, कार्यक्रम में डॉ. शोभा शौचे, डॉ. प्रमिला बघेल, डॉ. स्नेहा पोरवाल, डॉ. नेहा जायसवाल, उमा शर्मा आदि उपस्थित रही व कार्यशाला को सफल बनाने में सक्रिय योगदान दिया। सभी सहभागियों को प्रमाण पत्र बांटे गये।
18 फरवरी को प्राकृतिक रंगों का निर्माण की कार्यशाला आयोजित की गई जिसमें 30 विद्यार्थियों ने नेहा जायसवाल के निर्देशानुसार प्राकृतिक चीजों से होली के रंगों का निर्माण किया गया। प्राचार्य डॉ. हरीश व्यास व इको क्लब प्रभारी डॉ. मनमीत कौर मक्कड़ ने सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किया। नेहा जायसवाल ने अपने व्याख्यान में कृत्रिम रंगों के दुष्प्रभाव व प्राकृतिक रंगों का प्रभाव व उन्हें कैसे बनाया जाता है, इसका सफल प्रशिक्षण विद्यार्थियों को दिया। विद्यार्थी कृत्रिमता एवं प्राकृतिकता में अंतर समझ सकें। पर्यावरण अनुकूल तकनीकों से अवगत कराया गया है। जिससे कृत्रिम वस्तुओं का उपयोग कम हो सकें और सतत विकास को बढ़ावा मिले।
12 फरवरी को प्रकृति भ्रमण हेतु सिरपुर लेक इंदौर एवं यशवंत सागर, रामसर साइट 60 विद्यार्थी, प्राध्यापक एवं प्राचार्य डॉ. हरीश व्यास के मार्गदर्शन में बस द्वारा गये। डॉ. हरीश व्यास ने अपने व्याख्यान में सिरपुर लेक व यशवंत सागर रामसर साइट के बारे में विद्यार्थियों को महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की। यह झील होलकर शासकों के द्वारा बताई गई है। यहां स्थित तालाब दो भागों में विभाजित है। एक 350 एकड और दूसरा भाग 250 एकड़ का है। हजारों प्रवासी पक्षियों का यहां बसेरा है। विद्यार्थियों ने 35 पक्षियों की फोटो भी ली और विडियों भी बनाई गई। सिरपुर लेक को पक्षी अभ्यारण के रूप में भी विकसित किया गया है। नवंम्बर से फरवरी माह में करीब 25 हजार प्रवासी पक्षी यहां पाए जाते है। ये प्रवासी पक्षी प्रदेश और देश के विभिन्न भागों से यहां आते है एवं एशिया, साइबेरिया, मांगोलिया, हिमालय, नेपाल, अरब सागर और इजिप्ट से भी आते है।यह स्थान जैव विविधता को समझने के लिए भी अच्छा है। यशवंत सागर बांध पर भी विद्यार्थियों को भ्रमण करवाया गया डॉ. मक्कड़ ने जानकारी देते हुए बताया कि इस सागर पर स्थित बांध 90 साल से भी ज्यादा पुराना है। अभी भी मजबूत है। इसे होलकर शासकों ने 1930 में बनवाया था। प्राचार्य डॉ. हरीश व्यास ने रामसर स्थल के बारे में जानकारी देते हुए विद्यार्थयों को बताया कि भारत में 85 रामसर स्थल है। जो कि आर्द्रभूमि जैवविविधता एवं पारिस्थितिकी तंत्र के महत्वों को समझाते है। डॉ. शशि जोशी के द्वारा भी रामसर साइट की जानकारी प्रदान की गई। वैटलैण्ड के महत्व को समझना रामसर संधि क्या है, इसका क्या महत्व है। आदि से विद्यार्थियों को परिचय करवाया गया। वैटलैण्ड के संरक्षण को समझना है कि वे हमारे लिए कितने लाभप्रद है। बाढ़ के समय पानी को कैसे संग्रहित किया जाता है। डॉ. मक्कड़ ने प्राचार्य व सभी सक्रिय सदस्यों का आभार माना।
ईको क्लब के द्वारा 28 फरवरी को विज्ञान दिवस के अवसर पर प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। पर्यावरण से संबंधित विज्ञान मॉडल एवं पोस्टर विद्यार्थियों के द्वारा बनाएं गए, क्विज प्रतियोगिता, बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट प्रतियोगिता कराई गई। प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय पुरूस्कार एवं प्रमाण पत्र दिए गए।

Related Articles

Back to top button

Adblock Detected

प्रिय उपयोगकर्ता,

ऐसा लगता है कि आपने AdBlock या कोई अन्य विज्ञापन अवरोधक सक्षम किया हुआ है। हमारी वेबसाइट को सुचारू रूप से संचालित करने और आपको निःशुल्क समाचार प्रदान करने के लिए विज्ञापनों की आवश्यकता होती है।

कृपया हमारी वेबसाइट को Whitelist करें या AdBlock को निष्क्रिय करें ताकि आप बिना किसी रुकावट के नवीनतम समाचार पढ़ सकें।

आपका सहयोग हमारे लिए महत्वपूर्ण है! 🙏

धन्यवाद,
Kanak Times