विद्यार्थियों को कौशल परिपूर्ण एवं आत्मनिर्भर बनाना ही शैक्षणिक संस्थानों का प्रथम दायित्व -कुलगुरु प्रोफेसर अर्पण भारद्वाज
ठोस प्रबंधन पर कार्यशाला का आयोजन

उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय की प्राणिकी एवं जैव-प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला में ठोस प्रबंधन पर कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला में पालन फाउंडेशन के पराग अग्रवाल ने विद्यार्थियों को विभिन्न जैविक तत्वों का उपयोग कर उनसे अलग-अलग उत्पाद बनाने की विधि बताई। इस अवसर पर पराग अग्रवाल ने महाकाल के फूलों से निर्मित पाउडर का उपयोग कर विभिन्न प्रकार के उत्पादों का निर्माण किया। उन्होंने विस्तार से विद्यार्थियों को ऐसे उत्पाद बनाने एवं विक्रय करने की विधि बताई। इस अवसर पर प्राणिकी एवं जैव-प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष डॉ सलिल सिंह ने बताया कि पराग अग्रवाल द्वारा पहले विद्यार्थियों को ठोस प्रबंधन की जानकारी दी गई, एवं इसकी विधियां समझाई गई एवं उसके बाद उन्होंने ने महाकाल के फूलों से विभिन्न उत्पाद का निर्माण कर इसका प्रत्यक्ष उदाहरण दिया।
इस कार्यशाला के आयोजन पर हर्ष व्यक्त करते हुए विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर अर्पण भारद्वाज ने बताया कि विद्यार्थियों को पर्यावरण के प्रति सहज और सतर्क होना चाहिए, साथ ही उन्हें ऐसे मार्ग खोजते रहना चाहिए जिससे वे पर्यावरण को संरक्षित रख सके। उन्होंने कहा कि साथ ही अगर विद्यार्थी इस पदार्थों का उपयोग कर कुछ उपयोगी बना सके जिससे उनका कौशल विकास भी हो सके और वे धन भी अर्जित कर सके तो यह सर्वोत्तम होगा, क्योंकि विद्यार्थियों को स्वावलंबी
कौशल परिपूर्ण एवं आत्मनिर्भर बनाना ही शैक्षणिक संस्थानों का प्रथम दायित्व होना चाहिए और विक्रम विश्वविद्यालय इस पथ पर निरंतर अग्रसर है। इस कार्यशाला में प्रोफेसर कमलेश दशोरा सहित प्राणिकी एवं जैव-प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला के शिक्षक, विद्यार्थी एवं कर्मचारीगण उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन समर्थ खरे और इशू परमार ने किया एवं आभार डॉ पूर्णिमा त्रिपाठी ने माना।