पाठशाला
विक्रम विश्वविद्यालय की स्थापना सत्र के प्रथम विद्यार्थी थे प्रख्यात दार्शनिक प्रो एस आर भट्ट
दिल्ली विवि में प्रोफेसर भट्ट के दार्शनिक अवदानों पर राष्ट्रीय सेमिनार

उज्जैन। दिल्ली विश्वविद्यालय के दर्शन विभाग के पूर्व अध्यक्ष एवं प्रख्यात दार्शनिक डॉ एस आर भट्ट के दार्शनिक अवदानों के सम्मान में दिल्ली विश्वविद्यालय में दो-दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार हुआ।
शुभारंभ करते हुए उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि डॉ एस आर भट्ट पूर्ण पुरुषार्थ के मनुष्य थे। उन्होंने भारतीय संस्कृति और भारतीय दर्शन की प्रतिष्ठा विश्व को दिखायी। सेमिनार के उद्घाटन सत्र में शिक्षाविद् प्रो जे एस राजपूत ने कहा कि प्रो भट्ट ज्ञान की खोज में डूबा हुआ व्यक्तित्व थे। उस ज्ञान का कोई अर्थ नहीं होता, जो सभी को सुख प्रदान न करे। राष्ट्रीय सेमिनार में बीज वक्तव्य भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद के सदस्य सचिव प्रो सच्चिदानंद मिश्र ने प्रस्तुत किया। प्रो बाला गणपति देवराकोंड ने स्वागत वक्तव्य देते हुए कहा कि प्रो भट्ट ने शाश्वत जीवन मूल्यों के साथ भारतीय दर्शन को प्रतिष्ठा दी। इंडियन इंस्टीट्यूट इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज़ शिमला के प्रो के गोपीनाथ पिल्लाई, शांतिगिरी आश्रम केरल के स्वामी गुरु रेथनम जनाना तपस्वी ने भी प्रो भट्ट के प्रेरणादाई व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। माधव कॉलेज दर्शनशास्त्र विभाग के अध्यक्ष डॉ. शोभा मिश्रा ने प्रो भट्ट के मालवा प्रांत में दर्शन के योगदान को प्रतिपादित किया। उज्जैन की डॉ पूजा व्यास ने प्रो भट्ट के सादा और सरल व्यक्तित्व का गुणगान किया। डॉ जफर महमूद ने बताया कि प्रो भट्ट विक्रम विश्वविद्यालय की स्थापना सत्र के प्रथम विद्यार्थी थे। आभार संयोजक डॉ ऋतु जायसवाल ने माना। इस अवसर पर अतिथियों द्वारा डॉ भट्ट के सम्मान में प्रकाशित अभिनंदन ग्रंथ का लोकार्पण किया गया। सत्र में डॉ शोभा मिश्रा ने स्व भट्ट की स्मृति में लिखी हुई कविता प्रस्तुत की। कार्यक्रम में डॉ भट्ट की पत्नी अन्नपूर्णा भट्ट, उनके सुपुत्र डॉ राजीव भट्ट, बहू डॉ नीता भट्ट के साथ डॉ आभा होलकर दर्शनविद् डॉ आर सी सिंहा, डॉ सेबेस्टियन वैललासेरी, डॉ लक्ष्मीकांत, डॉ मंगला चिंचौड़े, डॉ नमिता निम्बालकर, डॉ किशोर कुमार त्रिपाठी, डॉ रामनाथ झा, डॉ जेएम दवे, अजया जैन विशेष रूप से उपस्थित थे।