धर्म-अध्यात्म

महामंडलेश्वर स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती जी महाराज की अध्यक्षता में निकली अटल अखाड़े की पेशवाई

संगम की रेती पर 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा की प्रथम डुबकी के साथ ही भव्य महाकुंभ का होगा शुभारंभ

उज्जैन। अटल पीठाधीश्वर राजगुरु आचार्य महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती जी महाराज की अध्यक्षता में प्रयागराज कुंभ में अटल अखाड़े की पेशवाई भव्य स्वरूप में निकली।
महाराजश्री के अनुयायी अजीत मंगलम ने बताया कि प्रयागराज में संगम की रेती पर महाकुंभ की चकाचौंध बिखेरने के साथ ही श्रीशंभू पंचदशनाम अटल अखाड़े के छावनी प्रवेश में सांस्कृतिक विविधता के रंग छा गए। सुसज्जित रथों, घोड़ों और बग्घिवों पर अखाड़े के महामंडलेश्वर और महंत चांदी के सिंहासनों पर सवार होकर निकले। बैंडबाजे पर भक्तिधुनों के साथ रास्ते भर पुष्प वर्षा होती रही। अखाड़े के महामंडलेश्वर और संत महात्मा शाही रथों पर रखे चांदी के सिंहासन पर छत्र और चंवर के साथ विराजमान थे। सबसे बड़े और सुसज्जित रथ पर अखाड़े के पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विश्वात्मानंद के नेतृत्व में निकली छावनी प्रवेश शोभायात्रा का मेला प्रशासन के अफसरों ने स्वागत किया।
संगम की रेती पर 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा की प्रथम डुबकी के साथ ही भव्य महाकुंभ का शुभारंभ हो जाएगा। इसके लिए अखाड़ों के नागा संन्यासी अभी से अलग- अलग सेक्टरों में अपना धूना लगा रहे हैं। अब तक आठ अखाड़े छावनी प्रवेश कर चुके हैं।
शैव परंपरा के प्राचीनतम अखाड़ों में से एक श्रीशंभू पंचदशनाम अटल अखाड़े नगर प्रवेश शोभायात्रा में साधु-संतों का रेला उमड़ पड़ा। अटल अखाड़े के नगर प्रवेश में आस्था और संस्कृति के विविध रंग देखने को मिले। अटल अखाड़े की छावनी प्रवेश शोभायात्रा बक्शी बांध स्थित आश्रम से दिन के 11 बजे आरंभ हुई। दारागंज की गलियों से होकर वेणी माधव, निराला चौराहा होते हुए परेड से शोभायात्रा महाकुंभ के लिए अखाड़ा नगर में बसाई गई छावनी में प्रवेश कर गई।
छावनी प्रवेश शोभायात्रा में सबसे आगे धर्म ध्वजा और घोड़े पर डंका निशान चल रहा था। इसके बाद अखाड़े के आराध्य देव भगवान गजानन की पालकी रथ पर सजाई गई थी। रथ पर गजानन भगवान की पालकी का लोग दर्शन कर रहे थे। इसके ठीक पीछे अखाड़े के नागा साधु घोड़े पर सवार होकर चल रहे थे। बड़ी संख्या में नागा तलवार, भाला और लाठी भांजते पैदल चल रहे थे। नागा संन्यासियों के शस्त्र का प्रदर्शन को देखने के लिए रास्ते भर श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगी रहीं। लोग जय घोष करते हुए आगे बढ़ रहे थे। अखाड़े के संत शाही रथों पर सवार होकर आशीर्वाद दे रहे थे। इनके साथ जम्मू कश्मीर से आए हुए 200 से ज्यादा वेद पाठी आचार्य हाथों में भगवा झंडा लेकर इस शोभायात्रा में शामिल थे। यह सभी वेदपाठी पीले रंग के कपड़े पहने हुए थे। छावनी प्रवेश में दर्जनों बैंड पार्टियां भक्ति गीतों की धुन पेश कर रही थीं।

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