मल्लखंब खिलाड़ियों की बड़ी जीत, हाईकोर्ट ने पुनः चयन के दिए आदेश
38वें राष्ट्रीय खेलों में मल्लखंब दल के चयन को लेकर चल रहे विवाद में इंदौर उच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया

उज्जैन। 38वें राष्ट्रीय खेलों में मल्लखंब दल के चयन को लेकर चल रहे विवाद में इंदौर उच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। शुक्रवार को आए निर्णय में न्यायालय ने खिलाड़ियों के पक्ष में फैसला देते हुए तीन दिनों के भीतर पुनः चयन प्रतियोगिता आयोजित करने का आदेश दिया है।
न्यायालय ने स्पष्ट रूप से माना कि पूर्व में हुई चयन प्रक्रिया अवैधानिक थी और खेल के नियमों के अनुरूप नहीं थी। न्यायालय ने यह भी टिप्पणी की कि योगेश मालवीय एवं चयन समिति के चेयरमैन विकास खराड़कर, सदस्य भारत बंदेरवाल और सूरज निगम ने षड्यंत्रपूर्वक व जालसाजी करके टीम का चयन किया था। जब मामला न्यायालय में पहुंचा, तो इन लोगों ने अपने पक्ष को सही ठहराने के लिए अंतिम चतुर्वेदी, श्वेता चौहान, लोकेश नायक, संतोष राठौर को बिठाकर दोबारा गलत निर्णय को वैध ठहराने की कोशिश की, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।
पूर्व में हुई चयन प्रक्रिया को चुनौती देते हुए संजना प्रजापति, विश्नेष सुगंधी, सोनू मंडावलिया, पायल मंडावलिया और पंकज गरगामा ने इंदौर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने तर्क दिया कि योगेश मालवीय ने अपने पद का दुरुपयोग कर अधिकारियों पर दबाव बनाकर अपने बच्चों को ही दल में चयनित करवा लिया था। हाईकोर्ट ने इस दलील को सही मानते हुए पुनः निष्पक्ष चयन कराने का निर्देश दिया।
इस ऐतिहासिक फैसले को लेकर संपूर्ण खेल जगत में हर्ष का माहौल है। गलत चयन करने वालों के खिलाफ यह निर्णय एक मिसाल बनेगा और भविष्य में इस तरह की मनमानी व अवैधानिक चयन प्रक्रियाओं पर रोक लगेगी।
इस न्यायिक संघर्ष में खिलाड़ियों के पक्ष में हाईकोर्ट एडवोकेट अविरल विकास खरे ने निष्पक्ष एवं निस्वार्थ भाव से पैरवी की और खिलाड़ियों को न्याय दिलाया। मल्लखंब खिलाड़ियों, खेल प्रेमियों और खेल संगठनों के पदाधिकारियों ने न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले पर आभार व्यक्त किया और इसे खेलों में निष्पक्षता की जीत बताया।