मन से जुड़ने वाले भावों एवं विचारों की जागरूकता से व्यक्तित्व का विकास होता है : आचार्य शैलेंद्र पाराशर
“व्यक्तित्व एवं कौशल विकास“ पर हुए सेमीनार में विद्यार्थियों को बताए जीवन में सफलता प्राप्त करने के सूत्र

उज्जैन। मनुष्य के व्यक्तित्व एवं कौशल विकास में शारीरिक, मानसिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक मूल्यों एवं गुणों का सर्वाधिक महत्व रहता है। हमें मन से जुड़ने वाले भावों एवं विचारों के प्रति सदैव सजगता, जागरुकता एवं आत्मविश्लेषण करतें हुयें लक्ष्य प्राप्ति के प्रति लगन, निष्ठा एवं आत्मविश्वास बनाएँ रखना चाहिए।
उक्त प्रेरक विचार विक्रम विश्वविद्यालय की डॉ. अंबेडकर पीठ के पूर्व आचार्य शैलेन्द्र पाराशर ने “व्यक्तित्व एवं कौशल विकास“ विषय पर उद्बोधन देते हुए व्यक्त कियें। आचार्य पाराशर ने कहा कि “अगर मनुष्य चाहे तो वह अपने संकल्पों एवं लक्ष्यों को हासिल कर सकता है। उन्होंने हेलेन केलर, स्टीफन हॉकिंग और दशरथ मांझी सहित अदम्य जिजीविषा से सफलता प्राप्त करने वाले अनेक उदाहरण भी दिए। मार्वल स्पोकन इंग्लिश क्लासेस के नवीन परिसर में आयोजित सेमिनार में आचार्य शैलेन्द्र पाराशर ने अनेक उदाहरणों, दृष्टांतों एवं कथानकों के माध्यम से युवा विद्यार्थियों को जीवन में सफलता प्राप्त करने व्यक्तित्व एवं कौशल विकास के सूत्रों के माध्यम से समझाया। अध्यक्षता संस्थान के निदेशक अभिलाष श्रीवास्तव ने की। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि संस्थान का उद्देश्य विद्यार्थियों के व्यक्तित्व एवं दक्षता को भाषा के माध्यम से संप्रेषित कर देश का श्रेष्ठ नागरिक बनाना है। आचार्य शैलेंद्र पाराशर का संस्थान के निदेशक अभिलाष श्रीवास्तव एवं दीपक चावड़ा ने अभिनंदन पत्र भेंट कर सम्मान किया। संगोष्ठी की शुरुआत में ज्ञान की देवी सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्वलन कर शुभारंभ किया। संस्थान के मेधावी एवं दक्षता की प्रस्तुतीकरण के आधार पर चयनित विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया। देव राठौर, कीर्ति जैन और वैष्णवी जायसवाल ने विभिन्न श्रेणियों में सर्वश्रेष्ठ वक्ता का पुरस्कार प्राप्त किया। शिवांगी वर्मा, काजल अनिजवाल और तनप्रीत कौर को क्रमशः स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक से सम्मानित किया गया। आभार दीपक चावड़ा ने ज्ञापित किया।