क्राइम-कंट्रोवर्सी

भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों को सिंहस्थ महापर्व की कमान

कांग्रेस नेता पोरवाल ने कहा भ्रष्ट अधिकारियों को सिंहस्थ महापर्व 2028 में जिम्मेदारी देना भ्रष्टाचार को इनाम देने के समान

कांग्रेस नेता भरत पोरवाल ने संभागायुक्त, कलेक्टर, निगमायुक्त, ईओडब्ल्यू में शिकायत कर पियूष भार्गव, मुकूल मेश्राम को हटाने की मांग की
उज्जैन। पियूष भार्गव व उनकी टीम द्वारा सिंहस्थ 2016 में पंचक्रोशी यात्रा के समय शौचालय व स्नान गृह निर्माण में करोड़ों का भ्रष्टाचार किया। जिसके कारण उस पर धारा 420, 201, 120 बी भादवि एवं 13 (क) 7 में प्रकरण दर्ज है, जिसकी विवेचना आज तक चल रही है। फिर भी सिंहस्थ 2028 के कार्य का प्रोजेक्ट अधिकारी नगर निगम द्वारा पियूष भार्गव को बना रखा है, उसके साथ मुकूल मेश्राम कार्य देख रहा है जिसने झोन क्रमांक 6 में रहते हुए कई नोटिस भेज कर अवैध वसूली की है, जिस कारण से उसे झोन क्रमांक 6 से हटाया गया था। दोनों को सिंहस्थ महापर्व 2028 में जिम्मेदारी देना भ्रष्टाचार को इनाम देने के समान है, ऐसे में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भरत पोरवाल ने संभागायुक्त संजय गुप्ता, कलेक्टर नीरजसिंह, निगमायुक्त आशीष पाठक, आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ पुलिस अधीक्षक सोनीजी को पत्र लिखकर दोनों को तत्काल पद से हटाने व उज्जैन से बाहर भेजने का की मांग की है।
भरत पोरवाल ने पत्र में कहा कि सिंहस्थ 2016 में पियूष भार्गव व उनकी टीम द्वारा सिंहस्थ 2016 मे पंचक्रोशी यात्रा के समय शौचालय व स्नान गृह निर्माण में करोड़ों रूपये का भ्रष्टाचार किया गया था, जिसकी शिकायत मय प्रमाण के मेरे द्वारा कलेक्टर को 11.05.2016 को की गई थी, जिसकी जाँच कलेक्टर ने जिला पंचायत सी.ई.ओ. रूचिका चौहान (आई.ए.एस.) से कराई गई थी, जिसमें मेरी शिकायत सही पाई गई थी। रूचिका चौहान द्वारा कलेक्टर को जाँच प्रतिवेदन दिया गया था। उसको आधार मानकर मैंने ई.ओ.डब्ल्यू. में मय प्रमाण के शिकायत दर्ज कराई थी। जाँच उपरान्त पियूष भार्गव व उसकी टीम पर ई.ओ.डब्ल्यू. ने 2019 में धारा 420, 201, 120 बी व अन्य धाराओं में प्रकरण दर्ज किया गया था। भरत पोरवाल ने कहा कि आने वाले सिंहस्थ 2028 के महापर्व से पहले पियूष भार्गव व उसके साथ मुकुल मेश्राम काम देख रहा है जिसने झोन क्रमांक 6 में रहते हुए कई नोटिस भेजकर अवैध वसूली की है जिस कारण से उसे झोन क्रमांक 6 से हटाया गया था, को उज्जैन नगर पालिका निगम से तत्काल हटाया जाए। जिससे शासन का रूपया सही निर्माण कार्य में लग सके, न कि पियूष भार्गव के हाथों भ्रष्टाचार की भेट चढ़ जाए।

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