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बड़े भारतीय कार्पोरेट्स जानते हुए भी हिंदुत्व विरोधी विश्व विद्यालयों को डोनेशन्स देते हैं

जब देश सांस्कृतिक कोमा में जड़ता में चला गया तब विवेकानन्दजी ने देश को इसकी राह और ताल दिखाई

समर्थ भारत पर्व के अंतर्गत हुए विमर्श में बोले मुख्य निर्वाचन आयुक्त मनोज श्रीवास्तव
उज्जैन। विवेकानन्द केंद्र कन्याकुमारी शाखा उज्जैन तथा दर्शन विभाग विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन द्वारा समर्थ भारत पर्व के अंतर्गत स्वामी विवेकानन्द जयंती के उपलक्ष्य में 13 जनवरी को विक्रम विश्वविद्यालय के स्वर्णजयंती हॉल में कार्यक्रम आयोजित किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता मध्यप्रदेश के मुख्य निर्वाचन आयुक्त मनोज श्रीवास्तव (आईएएस) थे। उन्होंने अपने भाषण के प्रारंभ में कहा कि विवेकानन्द मुझे क्यों पसंद आये? दरअसल विवेकानन्द ने अपने भाषण में कहा था कि हम सब माता सीता के बेटे हैं ….इस प्रकार हम सबको माता सीता से संबंधित किया यह बहुत महत्वपूर्ण बात मुझे लगी, साथ ही लोहिया मुझे इसलिये पसंद आये क्योंकि उन्होंने द्रोपदी का सही चित्रण किया है। एकनाथजी रानडे द्वारा कैसे 1, 1 रुपया इकठ्ठा कर कन्याकुमारी के विवेकानन्द शिला स्मारक को बनाया इसके साथ उन्होंने कहा कि कैसे भगवान राम द्वारा किसी समय शिला को स्पर्श से जीवंत कर दिया था (अहिल्या उद्धार ) उसी प्रकार कन्याकुमारी की उस शिला ने   विवेकानन्द को दिया …जिस पर तपस्या कर उन्होंने अपना प्रयोजन प्राप्त हुआ था। उस शिला पर विवेकानन्द को अपने गंतव्य अपने मंतव्य का ज्ञान प्राप्त हुआ इसलिए मुझे वो शिला महत्व पूर्ण लगती है। मनोजजी ने आगे कहा कि एक बार यह देश सांस्कृतिक कोमा में जड़ता में चला  गया था तब विवेकानन्द जी ने यह संभव किया कि किस तरह से इस देश को इसकी राह और ताल दिखाई जाए। उन्होंने आगे ये भी कहा कि यह भी मुझे आश्चर्य होता है कि किस तरह बड़े भारतीय कार्पोरेट्स, टाटा, महिंद्रा, विप्रो, मित्तल, इंफोसिस यह जानते हुए भी ये विश्वविद्यालय हिंदुत्व विरोधी हैं उन विश्व विद्यालयों को डोनेशन्स देते हैं।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उच्च न्यायालय के प्रख्यात अभिभाषक वीरेंद्र शर्मा थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरू डॉ अर्पण भारद्वाज ने की। दर्शन विभाग के विभागाध्यक्ष श्री मिश्रा, विज्ञान महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. हरीश व्यास, संस्कृत महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ सीमा, उद्योगपति रविन्द्र पेंढारकर भी मंच पर विराजमान थे। इस कार्यक्रम में विज्ञान महाविद्यालय एवं संस्कृत महाविद्यालय का विशेष सहयोग रहा।
प्रारंभ में तीन ओंकार प्रार्थना शिवम प्रजापत, गीत डॉ. नरेंद्र मनदोरिया ने व कार्यक्रम का सफल संचालन सुदर्शन शिशुलकर ने किया। मंचस्थ अतिथियों का परिचय डॉ. श्रेयस कोरान्ने ने करवाया। कार्यक्रम में विवेकानन्द केंद्र के राम भवालकर, धर्मेंद्र विपट, के एन शर्मा, अनिल देवलासे, रूपेश परमार, प्रकाश महाकाल, वसंत देशपांडे,  कृष्णा चित्तौड़ा, राहुल विपट, जी के निगम आदि उपस्थित थे। आभार मिलिंद्र त्रिपाठी ने माना। अंत में वंदेमातरम् की प्रभावी प्रस्तुति नीता कावलकर ने दी।

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