धर्म-अध्यात्म

प्रथम विश्व ध्यान दिवस पर गायत्री परिवार ने कराया सामूहिक ध्यान अभ्यास

विश्व ध्यान दिवस 21 दिसंबर के कारण भारतीय संस्कृति की ओर विश्व का ध्यान केंद्रित होगा- महेश आचार्य

उज्जैन। भारतीय संस्कृति को एक और गौरवशाली अवसर प्राप्त हुआ है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 21 दिसंबर को प्रतिवर्ष विश्व ध्यान दिवस के रूप में मनाने के महत्वपूर्ण निर्णय से सारे विश्व का ध्यान भारतीय संस्कृति की ओर होगा। अब हम भारतियों की जिम्मेदारी है कि ध्यान-योग का वास्तविक स्वरूप संसार में पहुंचाएं।
यह उद्गार महेश आचार्य उपझोन समन्वयक गायत्री परिवार ने शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सराफा में छात्राओं के लिए आयोजित सामूहिक ध्यान अभ्यास के समय व्यक्त किये। आपने बताया कि ‘‘यम नियामासन् प्राणायाम प्रत्याहार धारणा ध्यान समाधयोंऽष्टांवड्ंगानि’’ योग दर्शन 2/29, महर्षि पतंजलि के अनुसार योग का सातवां अंग ध्यान है। श्री आचार्य ने ध्यान को परिभाषित करते हुए छात्राओं को बताया कि वस्तुतः अपने व्यक्तित्व को श्रेष्ठ विचारों का स्नान कर देना ध्यान कहलाता है। ध्यान व्यक्तित्व की संपूर्ण स्थिरता है। शांति के स्रोत को ढूंढने की प्रक्रिया को ध्यान कहते हैं।
कालिदास मांटेसरी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बुधवारिया में ध्यान अभ्यास करते हुए जिला समन्वयक देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव ने उपस्थित छात्रों को बताया कि विज्ञान भैरव में शिवजी ने माता पार्वती को 112 प्रकार के ध्यान बताएं हैं। ये विधियां सभी उम्र और समय के लोग अपना सकते हैं। इन विधियों का अभ्यास करने से मानसिक शांति, आत्म- साक्षात्कार और आध्यात्मिक विकास होता है। किसी तथ्य पर चित्तवृत्तियों का एकाग्र करना ध्यान कहलाता है। ध्यान का सामान्य रूप मानसिक क्षमता के बिखराव को रोककर एक केंद्र पर नियोजित करना है। फैले क्षेत्र को छोटा कर देने से उसकी प्रखरता बढ़ जाती है। बांध के पानी को एक छोटे छेद से दबाव के साथ बड़ी तेज धार निकलती है और उसकी असाधारण शक्ति से मशीनों के पहिए घुमाये जाते हैं और बिजली बनाई जाती है।
योगाचार्य मोहन सिंह हिंगोले ने विद्यार्थियों को बताया कि ध्यानयोग की साधना का यही उद्देश्य है की मन को बेतुकी हरकतों – हलचलों में निरत रहने से रोका जाए और क्रमबद्ध रूप से कार्य करने के लिए अभ्यस्त किया जाता है।
गायत्री परिवार के योगाचार्य सोनू सोलंकी, शिरिष टिल्लू, के श्री व्यास, नागेन्द्र सिंह सोलंकी, नरेन्द्र सिंह सिकरवार, श्यामलाल जोशी एवं माधुरी सोलंकी ने मदरलैंड पब्लिक स्कूल देवास रोड, ज्ञान भारती विद्यापीठ दताना, विद्या भवन उच्चतर माध्यमिक विद्यालय इंदौर रोड, भारतीय ज्ञानपीठ विद्यालय महानंद नगर, विद्या विहार माध्यमिक विद्यालय शंकरपुरा आदि शिक्षण संस्थानों में जाकर योग अभ्यास कराया।

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