धर्म-अध्यात्म

पौष पूर्णिमा पर जयमंगल अट्ठ गाथा पाठ के साथ हुआ दो जोड़ों का विवाह

उज्जैन बुद्धिष्ट सोसाइटी एवं नव सिद्धार्थ शिक्षा एवं स्वास्थ्य संगठन ने किये मंगल कार्यक्रम

उज्जैन। उज्जैन बुद्धिष्ट सोसाइटी एवं नव सिद्धार्थ शिक्षा एवं स्वास्थ्य संगठन द्वारा पौष पूर्णिमा पर मंगल के कार्यक्रमों के आयोजन में दो जोडों का विवाह हुआ।

भिक्खु डॉ सुमेध थेरो के मार्गदर्शन में जयमंगल अट्ठ गाथा के पाठ एवं आर्शीवाद समारोह में पुष्पा कोरी एवं सुरेशचंद कोरी के पुत्र रोमी का विवाह सुमन कुशवाह के साथ एवं लखन सिंह कुशवाह की पुत्री दिव्या के साथ तथा पुष्पा कोरी एवं सुरेश चन्द्र कोरी के पुत्र यश का विवाह रेखा वर्मा एवं करन कुमार की पुत्री अंकिता के साथ संपन्न हुआ। इस अवसर पर ओमप्रकाश, बेबी, राजेन्द्र वर्मा, संगीता, जगत नारायण, डॉ कविता, डॉ नरेश सावित्री कटारिया, जय सिंह, शकुन्तला वर्मा, योगेन्द्र राज, मीनाक्षी, रितेश आर्य, अशोक नागर, शिवकुमार दोहरे, डॉ श्वेता, करूणेश वर्मा, अदिति, राहुल आदि उपस्थित रहे। डॉ हरीबाबू कटारिया ने हिन्दी में जय मंगल अट्ठगाथा का अर्थ सभी को समझाया और पौष पूर्णिमा पर चर्चा की। सभा की अध्यक्षता डॉ राकेश सगरिया ने तथा संचालन महेश कुमार वर्मा ने किया। नव विवाहितों को भिक्खु डॉ सुमेध थेरो के हस्ताक्क्षरयुक्त प्रमाण पत्र भेंट किये गये।
भिक्खु डॉ सुमेध थेरो ने इस अवसर पर पर कहा कि सूर्य के अलावा आकाश में नियमित रूप से दिखाई देने वाली सबसे बड़ी और सबसे चमकीली वस्तु के रूप में, पूर्णिमा कई संस्कृतियों में किंवदंतियों, धर्म और यहां तक कि कृषि में भी एक प्रतीक के रूप में बनी हुई है। उदाहरण के लिए, धर्म में, पूर्णिमा के दिन अक्सर उपवास करके मनाया जाता है। इस दिन धार्मिक महत्व है, क्योंकि इस दिन पवित्र स्नान, भगवान की पूजा और दान-पुण्य जैसे अनुष्ठान किए जाते हैं। नासा का कहना है कि कोल्ड मून के नज़ारे का आनंद लेने के लिए आपको दूरबीन या टेलीस्कोप की ज़रूरत नहीं होगी। पौष पूर्णिमा के दिन तिल, गुड़, कंबल और ऊनी वस्त्रों का दान करना चाहिए। इस बात का ध्यान जरूर रखें कि दान केवल जरूरतमंद लोगों तक पहुंचना चाहिए। ज्योतिष में चंद्रमा का मन एवं द्रव्य पदार्थों का कारक माना जाता है। मान्यता है कि पौष पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपने संपूर्ण रूप में होता है, जिसका प्रभाव व्यक्ति के मन मस्तिष्क में पड़ता है। पौष पूर्णिमा के बाद से ही माघ माह की शुरुआत हो जाती है। इस साल की मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर साध्य और सिद्ध योग का निर्माण भी हो रहा है। जिस वजह से इस पूर्णिमा का महत्व कई गुना बढ़ गया है। सिद्ध योग को नए कार्य की शुरुआत के लिए शुभ है। बौद्ध जगत में पौष पूर्णिमा संघमितरा दिवस से स्मरणीय है कि सम्राट अशोक की पुत्री बोधी स्प्रिंग लेकर अनुराधापूर् सिरीलंका पहुँची थी।

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