पाली और प्राकृत केवल भाषा नहीं, हमारी प्राचीन धरोहर हैं- अनिमेष नागर
माधव साइंस कॉलेज में प्रारंभ हुआ पाली एवं प्राकृत भाषा का सप्त दिवसीय प्रशिक्षण

उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय के भाषा प्रकोष्ठ एवं शासकीय माधव विज्ञान महाविद्यालय के भारतीय भाषा अध्ययन केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारंभ किया गया। विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर अर्पण भारद्वाज के मार्गदर्शन में इस कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है।
इस कार्यशाला के माध्यम से 14 फरवरी तक पाली एवं प्राकृत भाषा का प्रशिक्षण भाषाविद अनिमेष नागर द्वारा दिया जाएगा। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अनिमेष नागर ने कहा कि पाली और प्राकृत केवल भाषा ना होकर हमारी प्राचीन धरोहर हैं, इनका संवर्धन हमारी भाषा को और अधिक समृद्ध बनाएगा। महाविद्यालयीन प्राचार्य डॉ हरीश व्यास ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि पाली एवं प्राकृत दोनों ही हमारी शास्त्रीय भाषाएं हैं। इन दोनों भाषाओं का प्रशिक्षण विद्यार्थियों को भारतीय ज्ञान परंपरा से जोड़ने में सक्षम होगा। प्रो. गीता नायक भाषाविद हिंदी अध्ययनशाला, विक्रम विश्वविद्यालय ने संबोधित करते हुए कहा कि भाषा बदलती नहीं रूपांतरित होती है। संस्कृत भाषा का रूपांतरण ही पाली और प्राकृत भाषा के रूप में देखने को मिलता है। कार्यशाला की संयोजक प्रो. शशि जोशी ने संबोधित करते हुए कहा कि पाली और प्राकृत भाषा में समृद्ध साहित्य है पाली और प्रकृति को जानने से हम उसके साहित्य को भी समझ सकेंगे। उद्घाटन सत्र का संचालन डॉ शशि जोशी ने किया। आभार प्रदर्शन डॉ प्रियंका तिवारी द्वारा किया गया। वरिष्ठ प्राध्यापकों में डॉ. मणिकांत, डॉ. पुष्पा जाटवा एवं अतिथि विद्वान उपस्थित रहे। विक्रम विश्वविद्यालय के प्रतिभागी विद्यार्थी एवं माधव विज्ञान महाविद्यालय के प्रतिभागी विद्यार्थी भी इस अवसर पर उपस्थित रहे।