पांच ज्योति कलश उज्जैन आए, महाशिवरात्रि को प्रदेश यात्रा के रथों पर प्रस्थान करेंगे
ज्योति कलश आए बड़े भाग्य हमारे, तृप्त हुए नयन किए दरश तुम्हारे- महंत तुलसीदास जी
उज्जैन। एकता और समता सनातन की विशेषता है। कलश एकता का प्रतीक है इसमें सभी देवी देवता पूजन स्वीकार करते हैं। परम पूज्य गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने भी सबसे पहले एक बनेंगे- नेक बनेंगे का नारा दिया था जो कलश की दिव्य भावना से प्रेरित है। इन ज्योति कलशों का आगमन बड़े भाग्य से हुआ है, इनके दर्शन से हमारे नयन तृप्त हुए। हमारे उज्जैन कुंभ नगर में शांतिकुंज हरिद्वार से पांच ज्योति कलश आए हैं। हम सब अपने को गोर्वान्वित महसूस करें और उनके सान्निध्य से अपने को कृतार्थ करें।
यह उद्गार खाकी अखाड़ा अंकपात क्षेत्र के महंत तुलसी दास जी महाराज ने गायत्री शक्तिपीठ उज्जैन पर आए पांच ज्योति कलशों के पूजन के अवसर पर व्यक्त किये। उज्जैन उपझोन के समन्वयक महेश आचार्य ने बताया कि वर्ष 2026 परम वंदनीया माताजी की जन्मशताब्दी एवं शांतिकुंज हरिद्वार में प्रज्जवलित अखंड दीपक के शताब्दी वर्ष के रूप में मनाया जाएगा। 29, 30, 31 दिसंबर 2024 को शांतिकुंज हरिद्वार में अखिल विश्व गायत्री परिवार की प्रमुख श्रद्धेया शैल दीदी द्वारा पूजित इन ज्योति कलशों श्री दुर्गा दास उइके केन्द्रीय राज्य मंत्री ने मध्य प्रदेश से पहुंचे 1500 परिजनों को भेंट किया था। जिन्हें 2 जनवरी को सुबह उज्जैन लाया गया और एक समारोह में उनकी विधिवत गायत्री शक्तिपीठ पर स्थापना की गई। आगामी महाशिवरात्रि को एक प्रादेशिक समारोह में इन्हें पांच रथों के माध्यम से पूरे प्रदेश में वंदनीया माताजी और अखंड दीपक के विचारों को प्रसारित करने के लिए यात्रा पर रवाना किया जाएगा।
शांतिकुंज की ज्योति कलश कार्यशाला में उज्जैन से महेश आचार्य, नरेंद्र सिकरवार, श्यामलाल जोशी, नारायण वर्मा, एम एल बेलावत, मनोहर सेठ, दिनेश पोरवाल को यह कलश उज्जैन ले जाने के लिए शांतिकुंज व्यवस्थापक योगेंद्र गिरी ने सौंपे थे। गायत्री शक्तिपीठ उज्जैन के गर्भग्रह में इन्हें आज स्थापित किया गया। आम श्रृद्धालु इनके दर्शन का लाभ ले सकते हैं। इनके समक्ष प्रतिदिन सुबह और शाम आधा-आधा घंटे समूह साधना की जाएगी।