समाज संसार
दुनिया हमारे बारे में कुछ भी बोले, हम स्वयं अपने बारे में क्या सोचते हैं उसका चिंतन करना चाहिए- मुनि श्री 108 विन्रम सागर जी महाराज
श्री पार्श्वनाथ पंचायती मन्दिर फ्रीगंज में हुआ मंगल प्रवेश

उज्जैन। हर व्यक्ति का एक परफ्यूम होता है, लाइफ का कहीं पर भी आप जाते हैं पहुंचते हैं तो आपसे पहले आपका परफ्यूम पहुंचता है। दुनिया में हर व्यक्ति का एक इंप्रेशन होता है, प्रभाव होता है, सुगंध होती है, धारणा होती है जो कहीं भी उसके जाने से पहले पहुंच जाती है। कई बार वह पॉजिटिव होती है, कई बार वह नेगेटिव होती है, कई बार हमारे बारे में अच्छा बोला जाता है, तो कई बार हमारे बारे में बुरा बोला जाता है, लेकिन हम स्वयं अपने बारे में क्या बोलते हैं क्या सोचते हैं उसका चिंतन हमें अपने जीवन में करना चाहिए। हम अपने क्रोध के बारे में, ईर्ष्या के बारे में, अपनी वासना के बारे में क्या बोलते हैं व्यक्तिगत स्तर पर वह हमें जानना है हमें जानना है अपने पापों को, कषाय को, झूठ को, वासना को।
दुनिया हमारे बारे में कुछ भी बोलती है कुछ भी सोचती है लेकिन हम अपने बारे में क्या बोलते हैं, उस स्वतंत्र चिंतन और गहन चिंतन के बारे में मुनिश्री 108 विनम्र सागर जी महाराज ने अपने उद्बोधन में बताते हुए यह बात कही। संत शिरोमणी आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज एवं आचार्य श्री समय सागर जी महाराज के संघस्थ मुनि श्री 108 विन्रम सागर जी महाराज ससंघ का पौराणिक नगरी अवंतिका उज्जैन में प्रथम आगमन पर भव्य मंगल प्रवेश सिंधी कॉलोनी से श्री पार्श्वनाथ पंचायती मन्दिर फ्रीगंज में समाज जनों द्वारा जुलूस के रूप में किया गया। जिसमें सम्पूर्ण जैन समाज ने बड़ी संख्या में सम्मिलित होकर अपूर्व उत्साह दिखाया।
समारोह के संयोजक हितेश सेठी और पुष्पा बज ने बताया कि मुनि श्री की मंगल अगवानी पर सभा का आयोजन हुआ। जिसमें इन्दौर जैन समाज के वरिष्ठ साधर्मी जन मनीष नायक के नेतृत्व में पधारे और मुनि श्री को श्री फल भेंट किया। उज्जैन जैन समाज से सभी जिनालयों के ट्रस्टी, संस्थाओं के पदाधिकारी, महिला मंडलों ने भी मुनि श्री को विनयांजलि भेंट की जिसमें प्रमुख रूप से धर्मेन्द्र सेठी, राहुल जैन अभिभाषक, हितेश बड़जात्या, प्रसन्न बिलाला, देवेन्द्र कांसल, अश्विन कासलीवाल, अनिल गंगवाल, पंकज जैन, सुनील बड़गडिया, जीवंधर जैन, फूलचंद छाबड़ा, ललित सरोवर, कमल बड़जात्या, सुनील जैन ट्रांसपोर्ट आदि थे। सभा का प्रारंभ मंगलाचरण से मोनिका सेठी ने किया, चित्र अनावरण एवं दीप प्रज्वलनकर्ता व पाद प्रक्षालन करने का सौभाग्य जिनेन्द्र जैन, पंकज जैन शौर्य जैन चने वाला परिवार को प्राप्त हुआ। तत्पश्चात आचार्यश्री की पूजन के लिए सम्पूर्ण जैन समाज की संस्थाओं ने अर्ध समर्पित किए। सभा का संचालन राजेश कासलीवाल ने किया।
मुनिश्री 108 विनम्र सागर जी महाराज ने प्रवचन में कहा जगत में तीन काल होते हैं भूत, भविष्य और वर्तमान लेकिन एक चौथा काल भी होता है आपत्ति, हम तो अपने आपातकाल में अपने भगवान को पुकारते हैं हमें गुरु का सान्निध्य मिला है लेकिन अगर हमने अपनी आने वाली पीढ़ी को उस आपातकाल में अपने भगवान से परिचय नहीं कराया तो वह भी अन्य धर्म की तरह भगवान को पुकारने की जगह बंदूक उठा लेगी। इसलिए भगवान के बारे में सही जानकारी देना, पुण्य पाप को समझना और अपने आपातकाल में किसको याद करना, इस विषय पर गुरुदेव ने जानकारी देते हुए बताया कि द्रोपती के चीर हरण पर उसने कृष्ण को पुकारा, कृष्ण ने उसके चीर को बढ़ाया उसकी रक्षा की, अगर ऐसी स्थिति आपकी बिटिया की होती है तो उसके चीर हरण को बचाने के लिए, उसकी विशुद्ध के लिए, उसकी रक्षा के लिए क्या संविधान होगा। इसकी जानकारी हम आगे उद्बोधनों में देंगे। मुनि श्री विन्रम सागर जी ने अपने प्रवचनों में अपने गुरु विद्यासागरजी द्वारा पूछे गए प्रश्न पर पूरी जैन समाज को सोचने के लिए, अपने आप में परिवर्तन लाने के लिए एक नया विचार दिया उन्होंने कहा कि अपने बारे में आप क्या बोलते हैं कभी हमने उस पर विचार नहीं किया दुनिया हमारे बारे में क्या सोचती हैं हम इसी में उलझे रहते हैं।