कला का कोना

त्रि-दिवसीय तबला कार्यशाला में 55 विद्यार्थियों ने लिया तबले का तकनीकी प्रशिक्षण

शासकीय माधव संगीत महाविद्यालय में हुआ तबला कार्यशाला का समापन

उज्जैन। तबला दिवस के अवसर पर आयोजीत शासकीय माधव संगीत महाविद्यालय में त्रि-दिवसीय तबला कार्यशाला का समापन हुआ जिसमें 55 विद्यार्थियों ने डॉ प्रवीण उद्धव प्राध्यापक तबला काशी हिंदू विश्वविद्यालय बनारस के निर्देशन में तबले का तकनीकी प्रशिक्षण प्राप्त किया।
इसके समापन अवसर पर प्रो प्रवीण उद्धव ने अपना परंपरागत स्वतंत्र तबला वादन सर्वलोक प्रिय ताल ’तीन ताल’ में प्रस्तुत किया। जिसमें विलंबित लय में आलापचारी सरदृश्य पेशकार दिल्ली, फर्रुखाबाद और पंजाब की खुशबू के साथ मुक्त रूप से विस्तारित करते हुए अजराड़ा, बनारस और लखनऊ घरानों के विशिष्ट कायदों, बांट, गत कायदे आदि के साथ कायदे के विविध प्रकार प्रस्तुत किये। प्रो प्रवीण उद्धव अपने स्वतंत्र वादन के प्रस्तुतीकरण की एक अलग शैली विकसित की है। आपके वादन में मंद्र सप्तक के तबले की नादात्मकता का आनंद श्रोताओं को प्राप्त हुआ। अपने परंपरा गत वादन पद्धति के साथ-साथ आधुनिक वादन भी प्रस्तुत किया। आपके वादन में नाद विविधता, भाषा सौंदर्य, साहित्य, काव्यात्मकता, जाति, छंद आधारित अनेक रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। तत्पश्चात मध्य लय में पंजाब घरानें और बनारस की छंदाधारित गत, लमछड़ चक्रदार बंदिशे, अलग-अलग जातियों के रेलें आदि प्रस्तुत किया।
इसके पश्चात वादन के द्वितीय चरण में द्रुत लय के अंतर्गत बनारस करने की उठान, गत, फर्द, फर्रुखाबाद घराने की गत, दिल्ली घरानें के टुकड़े, आदि का प्रस्तुतीकरण द्वारा सांगीतिक वातावरण निर्माण कर श्रोताओं को भावविभोर किया।
संपूर्ण तबला वादन में सभी घराने के बंदिशों के साथ-साथ घराने के मूर्धन्य विद्वान पंडित किशन महाराज, उस्ताद अल्ला रखा खां साहब, पंडित सुरेश तलवलकर (गुरू), उस्ताद जमाल खां (गुरु), उस्ताद अफाक हुसैन खान साहब, पंडित अनोखेलाल, पंडित सामता प्रसाद जी आदि अनेक विद्वानों की रचनाओं को प्रस्तुत कर उनके चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित किया। आपके वायलिन पर संगति अब्दुल हमीद शाह ने की।
इस अवसर पर नगर के वरिष्ठ संगीतज्ञ पंडित श्रीधर व्यास, पंडित उमाशंकर भट्ट, पंडित राजेन्द्र प्रसाद आर्य, कालिंदी ढापरे, डॉ.प्रकाश कड़ोतिया, सुशीला वसुनिया, नितिन जैन, अजय शर्मा, अली अहमद खां, गोपाल रैकवाल, खेमलता मरकाम तथा बड़ी संख्या में कलाप्रेमी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ विनीता माहुरकर ने किया तथा आभार सांस्कृतिक प्रभारी शरद सूर्यवंशी ने प्रकट किया।

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