ज्योति कलश यात्रा महाशक्ति की युग परिवर्तन कारी यात्रा है
ज्योति कलश रथ यात्रा का शुभारंभ

उज्जैन। युग परिवर्तन महाकाल का उद्घोष है, जो स्वयं काल के देवता है इसलिए युग परिवर्तन आवश्यम् भावी है। ज्योति कलशों के रूप में परम पूज्य गुरुदेव और वंदनीया माता जी सशरीर हमारे साथ हैं यह मानकर चलिए। यह महाकाल के पांच वीरभद्र जैसे हैं। इन वीरभद्रों के सानिध्य से आपकी यात्रा सफलता से संपन्न होगी। ऐसा आप सभी लोग अनुभव करेंगे और आपकी यात्रा उत्साह जनक सफलता के साथ संपन्न होगी। इसी लिए इस यात्रा के शुभारंभ के लिए महाकाल की नगरी उज्जैन का चयन किया गया है।
यह जानकारी गायत्री शक्तिपीठ उज्जैन पर ज्योति कलश रथ यात्रा के शुभारंभ के अवसर पर जगदीश चंद्र कुल्मी ने उपस्थित प्रदेश परिजनों को दी। वंदनीया माताजी के साथ 35 वर्ष तक निकटतम सहयोगी रही दुर्गा समाधिया ने माता जी के अनेक संस्मरण बताए। जिससे उनके देवी शक्ति संपन्न होने के प्रमाण माने जा सकते हैं।
मध्यप्रदेश झोन भोपाल के समन्वयक राजेश पटेल ने परिजनों से अनुरोध किया कि हम सब गुरुदेव के बेटे बेटी हैं उनके सम्पदा पर हम सबका हक है। गुरुदेव ने अपनी तप ऊर्जा का आधा हिस्सा अपने परिजनों को के लिए सुरक्षित रखा है। लेकिन वह देने से ही मिलेगा करिष्ये वचननम तब का संकल्प हमें करना पड़ेगा। गुरुदेव के अनुदान वरदानों से आपकी सात पीढ़िया निहाल हो जाएंगी। इसी तप ऊर्जा को रथ यात्रा के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाना है।
गौलोक धाम सेंधवा के संचालक पं मेवालाल, युवा प्रकोष्ठ समन्वयक विवेक चौधरी एवं अतिथियों द्वारा कलश पूजन के बाद कलशों को रथ पर स्थापित कर शंखनाद के साथ पांच रथों पर प्रादेशिक ज्योति कलश यात्रा के लिए प्रस्थान कराया गया। इनमें से एक रथ उज्जैन, गुना दूसरा इंदौर, ओम्कारेश्वर, तीसरा भोपाल छिंदवाड़ा, चौथा टीकमगढ़, ग्वालियर तथा पांचवां पढ़खुड़ी (रीवा), जबलपुर अमरकंटक उपझोन में चलेंगे।