ज्ञान महाकुंभ से निकलने वाले अमृत से देश की शिक्षा को नई दिशा मिलेगी
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के ज्ञान महाकुंभ का प्रयागराज में सारस्वत शुभारंभ
उज्जैन। देश में आध्यात्मिक चेतना जगाने के इस पुण्य स्थान संगम पर देश की शिक्षा व्यवस्था से जुड़े प्रत्येक घटक की सहभागिता के साथ आयोजित होने वाले इस ज्ञान महाकुंभ से भारत की शिक्षा में सकारात्मक परिवर्तन लाने का शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास का यह प्रयास मील का पत्थर साबित होगा। यह बात उत्तरप्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कही। उन्होंने कहा कि संस्कार विहीन शिक्षा का कोई अर्थ नहीं और न्यास की संस्कार युक्त शिक्षा की पहल को हमें मिलकर दूर तलक ले जाना है।“ उन्होंने कहा की “ शिक्षा महाकुंभ में शिक्षा और समाज का संगम होगा ।
न्यास के राष्ट्रीय सचिव डॉ अतुल कोठारी ने शुभारम्भ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि कुंभ मेला धार्मिक, सांस्कृतिक व सामाजिक के साथ-साथ विश्व का सबसे बड़ा आध्यात्मिक समागम होता है। कुंभ मेले में देशभर के साधु-संत, सन्यासी आदि एक साथ इकट्ठे होते है और देश की जनता को धार्मिक मार्गदर्शन करते है। इस महाकुंभ में देश के शिक्षा जगत के छात्र, आचार्य, शिक्षाविद्, शोधार्थी, शिक्षा से जुड़े शासन-प्रशासन के पदाधिकारी, निजी शैक्षिक संस्थाओं के प्रतिनिधि आदि मिलकर देश की शिक्षा में आधारभूत परिवर्तन की प्रक्रिया में गति देने हेतु चिंतन-मंथन करेंगे।पिछले लगभग 175 वर्षों की मैकॉले की शिक्षा नीति के प्रभाव के कारण शिक्षा मात्र नौकरी पर प्राप्त करने का माध्यम बन गई। विगत कुछ दशकों से अधिकतर शैक्षिक विमर्श मात्र समस्याओं की चर्चा तक सीमित हो गए। इस शैक्षिक परिदृश्य में सुधार एवं परिवर्तन हेतु शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास प्रतिबद्ध है। डॉ कोठारी ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक कार्य, नवाचार एवं भारतीयता की दिशा में कार्य करने वाली संस्थाओं एवं विद्वानों को एक मंच पर लाकर उनके कार्यों का प्रस्तुतीकरण एवं प्रदर्शित किया जाएगा। शिक्षा के सभी घटक एक साथ एकत्रित होकर देश की शिक्षा में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए मंथन करें, यही इस ज्ञान महाकुंभ का प्रमुख उद्देश्य है।डॉ कोठारी ने कहा जिस प्रकार प्राचीन भारत में ऋषि मुनि समस्याओं के समाधान हेतु नैमिषारण्य में एकत्रित होते थे, उसी प्रकार न्यास के इस ज्ञान महाकुंभ में शिक्षा के सभी घटक एक साथ एकत्रित होकर देश की शिक्षा में सकारात्मक परिवर्तन लाने हेतु मंथन करेंगे। इस ज्ञान महाकुंभ से पूर्व देश के चार अलग अलग भागों में ज्ञान कुंभ आयोजित किए जा चुके हैं, हरिद्वार, कर्णावती, नालंदा, पुडुचेरी में आयोजित किए गए। इस ज्ञान महाकुंभ से निश्चित ही देश की शिक्षा को एक नया विकल्प देने की दिशा में हम आगे बढ़ेंगे। इस ज्ञान कुंभ की महत्त्वता इससे ही समझी जा सकती है कि देशभर के सैकड़ों कार्यकर्ता 1 माह से लेकर 1 वर्ष तक का समय दान कर इस आयोजन को सफल बनाने में लगे हुए हैं। मुझे विश्वास है कि इस ज्ञान महाकुंभ से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन हेतु किए जा रहे प्रयासों से को बल मिलेगा।
विश्व जागृति फाउंडेशन के डॉ. वागीश स्वरूप ब्रह्मचारी ने कहा की इस पावन भूमि पर शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा शिक्षा के विभिन्न विषयों को भारतीय ज्ञान परंपरा के आलोक में चिंतन मंथन करने के उपरांत समाज के सम्मुख प्रस्तुत किया जाएगा। यही भारतीय परंपरा है, हमारी परंपरा में सामूहिक चिंतन पर ज़ोर दिया गया है।उन्होंने कहा कि दुनिया जब पजामे का नाड़ा बांधना भी नहीं जानती थी तब हम नक्षत्रों की गणना , उच्च स्तरीय विज्ञान और नैतिकता की बात किया करते थे।“।
समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के काशी प्रांत के प्रचारक रमेश कुमार ने कहा “भारतीय परंपराएं सदा से ही अपने आप में अनोखी और सामाजिक समरसता को बल देती रही हैं। हमें इस पर गर्व करना चाहिए और इसके संरक्षण के लिए सदा तत्पर रहना चाहिए।
केंद्रीय संस्कृति विश्वविद्यालय के निदेशक आचार्य ललित त्रिपाठी ने महाकुंभ को ज्ञान महाकुंभ से जोड़ते हुए कहा- “ज्ञान से बड़ा कोई अमृत नहीं, जो इसका पान करेगा, उसी का उत्थान संभव है।“
कार्यक्रम को श्री धर्म संघ के स्वामी त्रयंबकेश्वर चैतन्य महाराज ने भी संबोधित किया। समारोह में भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, प्रयागराज के निदेशक प्रो. मुकुल शरद सुतावणे, विधायक गुरु प्रसाद मौर्य और विधायक श्रीमती पूजा पाल विशेष रूप उपस्थित थे। शुभारंभ कार्यक्रम का संचालन डॉ पूर्णेन्दु मिश्रा ने किया। धन्यवाद मेजर डॉ हर्ष कुमार ने दिया।
ज्ञान महाकुंभ के विषय में जानकारी देते हुए शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के क्षेत्रीय संयोजक प्रचार प्रसार डॉ जफर महमूद ने बताया कि भारत के जन-जन में व्याप्त पंचतत्व प्रकृति प्रेम और धर्म जागरण को एक राष्ट्रव्यापी सांस्कृतिक उत्सव के रूप में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के द्वारा ’ज्ञान महाकुंभ-2081’ का आयोजन किया जा रहा है। इस विशाल शैक्षिक सांस्कृतिक समागम में समस्त भारत से आचार्य, शिक्षाविद, शोधार्थी, छात्र-छात्राएँ, विभिन्न राज्यों के शिक्षामंत्री एवं शिक्षा सचिव आदि प्रतिभाग करेंगे। ’ज्ञान महाकुंभ-2081’ का आयोजन पावन संगम क्षेत्र प्रयागराज में हो रहा है। उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री माननीय योगी आदित्यनाथ इस महा आयोजन के संरक्षक हैं। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास को श्री गंगा के पावन तट पर इस आयोजन हेतु भूमि का आवंटन भी किया गया है। इस पावन भूमि पर शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा योजनाबद्ध तरीके से अपने कार्यकलापों, विभिन्न विषयों में न्यास द्वारा किए जा रहे उत्कृष्ट कार्यों का प्रदर्शन किया जाएगा। इस अवसर पर शिक्षा के विभिन्न विषयों को भारतीय ज्ञान परंपरा के आलोक में चिंतन मंथन उपरांत समाज के सम्मुख प्रस्तुत किया जाएगा।