पाठशाला

जैव प्रौद्योगिकी के छात्रों को खुले दिमाग एवं तार्किक सोच का होना चाहिए-डॉक्टर त्रिपाठी

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की जैव-ई 3 पॉलिसी एवं जैव प्रौद्योगिकी विषय की उपयोगिता पर विशिष्ट व्याख्यान

उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय डीबीटी की बायो 3 E( इकोनॉमिक्स , एनवायरनमेंट, एम्प्लॉयमेंट )नीति पर विशिष्ट व्याख्यान आयोजित विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला में प्राणिकी एवं जैव-प्रौद्योगिकी एवं शासकीय माधव विज्ञान महाविद्यालय, उज्जैन के संयुक्त तत्वावधान से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की जैव-ई 3 पॉलिसी एवं जैव प्रौद्योगिकी विषय की उपयोगिता पर विशिष्ट व्याख्यान आयोजित किया गया। यह व्याख्यान प्रधान वैज्ञानिक अधिकारी (जैव प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार) डॉ. अमित त्रिपाठी द्वारा दिया गया। अपने व्याख्यान में डॉक्टर त्रिपाठी ने बताया कि समाज के विभिन्न क्षेत्रों में जैव प्रौद्योगिकी का उपयोग देखा जा सकता हैं। उन्होंने बताया कि जैव प्रौद्योगिकी का ज्ञान भविष्यवाणी करके जीवन बचाने में सहायक हो सकता है। विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए डॉक्टर त्रिपाठी ने कहां कि जैव प्रौद्योगिकी के छात्रों को खुले दिमाग और तार्किक सोच का होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत कौशल आधारित नौकरियों और कौशल आधारित पाठ्यक्रमों की ओर बढ़ रहा है और जैव प्रौद्योगिकी उनमें से ही एक विषय है, जो विद्यार्थियों को कई विकल्प दे सकता हैं। डॉक्टर त्रिपाठी ने डीबीटी की बायो ई 3 नीति पर विद्यार्थियों को विस्तार से बताते हुए, साथ ही विद्यार्थियों को

डीबीटी से फंड प्राप्त करने के बारे में भी विस्तार से बताया। उन्होंने कहां कि विद्यार्थियों के जीवन में अनुशासन, समर्पण और दृढ़ता का सर्वाधिक महत्व होता हैं ये लक्ष्य प्राप्ति के मुख्य स्तंभ बनते है। इस अवसर पर विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर अर्पण भारद्वाज ने कहा कि विद्यार्थियों को अपने विषय विशेषज्ञ से संपर्क में रहना चाहिए इससे उनके ज्ञान में वृद्धि होती हैं एवं विद्यार्थियों का उचित मार्गदर्शन होता है। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर पूर्णिमा त्रिपाठी ने किया एवं आभार माधव विज्ञान महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर हरीश व्यास ने माना।

Related Articles

Back to top button