क्राइम-कंट्रोवर्सी

जयराज चौबे फर्जी तरीके से प्राप्त कर रहा शासकीय मंदिर का मानदेय

शासन से मानदेय रोकने ओर रिकवरी करने के लिए पुजारी महासंघ की मांग

उज्जैन। महाकालेश्वर मंदिर परिसर में अनेकों मंदिर स्थापित हैं तथा उन मंदिरों की सेवा वंश परंपरानुसार सरकारीकरण के पूर्व हजारों वर्षों से पुजारी वर्ग करता आ रहा हैं, लेकिन कुछ तथा कथित लोग पुजारी की मृत्यु के पश्चात अनाधिकृत रूप से आवेदन देकर पुजारी बनने की कोशिश करते हैं। उसका एक ज्वलंत उदाहरण महाकाल मंदिर परिसर के स्वप्नेश्वर, अनादिकल्पेश्वर, त्रिविष्टिपेश्वर मंदिर हैं। जहां पर जयराज चौबे और सारिका गुरु ने आवेदन देकर पुजारी पद हड़पने की कोशिश की और जयराज चौबे स्वप्नेश्वर का अनाधिकृत तौर पर पुजारी बन बैठा जबकि महाकालेश्वर मंदिर एक्ट के अनुसार महाकालेश्वर मंदिर के परिसर में पुजारियों की नियुक्ति करने का अधिकार केवल महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति को हैं अन्य किसी संस्था या अधिकारी को नहीं।
जयराज चौबे जो अनाधिकृत रूप से स्वप्नेश्वर का पुजारी बन बैठा था उसका विरोध परिसर के मंदिरों के पुजारियों ने किया और उसकी नियुक्ति महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वार निरस्त की गई। लेकिन प्रशासनिक कारणों से या भूल चूक के कारण स्वप्नेश्वर महादेव का शासकीय मानदेय आज भी अनाधिकृत रूप से जयराज चौबे प्राप्त कर रहा हैं। अखिल भारतीय पुजारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश पुजारी ने अनुविभागीय अधिकारी को एक पत्र देकर मांग की हैं कि जयराज चौबे जो अनाधिकृत और फर्जी तरीके से शासकीय मंदिर का मानदेय पांच हजार रुपए प्राप्त कर रहा हैं उसे शीघ्र रोकने का कष्ट करें और शासन के साथ धोखाधड़ी कर शासन को गलत जानकारी देकर जो मानदेय प्राप्त किया हैं उसकी रिकवरी कर 420 का प्रकरण दर्ज कर कड़ी कार्यवाही की जावे।

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