धर्म-अध्यात्म

गिरिराज पर्वत उंगली पर उठाते हुए धर्म के लक्षण दया, मंत्र, करूणा बताये

ज्ञान भक्ति, तपस्या, यज्ञ, अनुष्ठान उसी का सफल, जो समाज, संस्कृति और सभ्यता के संरक्षण के लिए अपनी शक्ति व धन को लगाता है- श्री बृजोत्सवजी महाराज

उज्जैन। हम धर्म प्रेमी व धार्मिक है। धार्मिक व्यक्ति के अंदर धर्म के लक्षण भी दिखना चाहिये। धार्मिक व्यक्ति निर्भय होता है, भगवान की भक्ति की शक्ति कृपा का बल उसके साथ होता है। जो भगवान की शरण में आता है, भगवान उसका कल्याण करते हैं। चाहे वह मनुष्य हो देवता हो, असुर हो, भगवान भक्ति से प्रसन्न होते हैं। ध्रुवजी के प्रसंग में यह समझाया गया। ज्ञान भक्ति, तपस्या, यज्ञ, अनुष्ठान उसी का सफल है जो समाज, संस्कृति और सभ्यता के संरक्षण के लिए अपनी शक्ति व धन को लगाता है। दक्ष प्रजापति की कथा में यही समझाया व्यक्ति को बड़ा होने के बाद अहंकार नहीं करना चाहिये। हर कार्य समर्पण के साथ करना चाहिये।
यह बात भव्य सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा रसपान महोत्सव व 108 भागवत पारायण में अनंत श्री विभूषित राजाधिराज ज.पी. पद्यश्री, पद्मभूषण सम्मानित गोस्वामी श्री गोकुलोत्सवजी महाराजश्री के लालजी (सुपुत्र) सोमयज्ञ सम्राट आचार्य श्री डॉ. गोस्वामी पू.पा. श्री बृजोत्सवजी महाराज श्री इन्दौर ने कहीं। मीडिया प्रभारी दीपक राजवानी के अनुसार आज कथा में अजामिल भरत की कथा सुनाई। प्रसंग में गिरिराज पर्वत उंगली पर उठाते हुए धर्म के लक्षण दया, मंत्र करूण बताये। मंडल के संस्थापक संयोजक विट्ठल नागर, धर्मेंद्र गुप्ता, राजेश गुप्ता महाकाल परिसर परिवार ने भी आप श्री की आरती की। कथा में विशिष्ट सहयोगी द्वारकादासजी नीमा, जीवनलालजी दिसावल, अशोकजी जड़िया, रसिकजी सुगन्धी, बंशीलालजी नीमा, शरदजी भट्ट, दिलीपजी वेद, नंदलालजी यादव, प्रेमनारायणजी नागर, दामोदरदासजी सुगन्धी, ब्रजमोहनजी नीमा, गोविंददासजी नीमा (श्रीनाथजी हवेली) हीरालालजी शर्मा, पन्नालालजी शर्मा, रामबाबूजी गोयल, गिरधरगोपालजी नीमा, गोवर्धनजी नीमा, गोविंदजी यादव, सत्यनारायणजी माहेश्वरी, कैलाशजी माहेश्वरी (भांगघोटा), दिपकजी शाह, नलिनजी नीमा, विजयजी अग्रवाल, डॉ. रविन्द्रजी दिसावल, गोविंदजी खण्डेलवाल, जितेन्द्रजी गांधी, कृष्णा बेन माहेश्वरी, श्रीमती राधारानीजी सुगन्धी, श्रीमती राजकुमारी माहेश्वरी, गोपालदासजी नागर, घनयामदासजी नागर, मयूरजी शर्मा, विजयजी केवलिया, सुनीलजी व्यास, मुरलीधरजी नागर, कमलकांतजी नागर, विजयजी नीमा, अशोकजी शाह, जगदीशजी राठी (तराना), गिरीराजकिशोरजी नागर रहे। महाकाल परिसर, हीरा मिल रोड़ पर चल रही कथा में संस्थापक संयोजक विट्ठल नागर ने 7 जनवरी से 13 जनवरी तक महाकाल परिसर हीरामिल रोड पर प्रतिदिन दोप. 2 बजे से हो रही कथा में भक्तों से धर्मलाभ लेने का अनुरोध किया है।

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