“गण“ भगवान शिव का और “गौरी“ या “गौरा“ देवी पार्वती का प्रतीक
श्री मेढ क्षत्रिय मारवाड़ी स्वर्णकार महिला संगठन ने निकाला गणगौर फूलपाती चल समारोह

उज्जैन। श्री मेढ क्षत्रिय मारवाड़ी स्वर्णकार महिला संगठन द्वारा अध्यक्ष मनोरमा मौसूण के नेतृत्व में क्षीर सागर गाँधी उद्यान से गणगौर की फूलपाती का चल समारोह निकाला। दूल्हा-दुल्हन की वेशभूषा में युवक युवतियां एवं महिलाएं गणगौर की फूलपाती को सिर पर रखकर चल समारोह शामिल हुई।
चल समारोह का शुभारंभ क्षीरसागर गांधी उद्यान से हुआ जो कंठाल, सती गेट, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी होता हुआ कार्तिक चौक समाज के श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर पर पहुंचा। चल समारोह में बैंड बाजे, समाज की युवतियां, दूल्हा दुल्हन के वेश में एवं बड़ी संख्या में समाज की महिलाएं शामिल हुई। गणगौर फूल पाती चल समारोह का जगह-जगह समाज जनों द्वारा पुष्प वर्षा कर भव्य स्वागत किया गया। लक्ष्मी नारायण मंदिर में गणगौर माता का पूजन कर झाले दिए गए एवं भगवान लक्ष्मी नारायण की आरती संपन्न की गई। इस अवसर पर समाज अध्यक्ष मनोरमा मौसुण, उपाध्यक्ष शोभा भवन, कोषाध्यक्ष चंदा साडलीवाल, सचिव रेखा डावर, सह सचिव छाया रुगरेचा सहित बड़ी संख्या में समाज की महिलाएं शामिल हुई।
मनोरमा मौसुण के अनुसार गणगौर पर्व के दौरान, महिलाएं और युवतियाँ ने “फूलपाती चल समारोह“ में उत्साह से भाग लिया जिसमें वे गणगौर माता (पार्वती) की प्रतिमा को सिर पर रखकर, भक्तिमय गीत गाते हुए और नाचते हुए शामिल हुई। “गण“ भगवान शिव का और “गौरी“ या “गौरा“ देवी पार्वती का प्रतीक है, जो भगवान शिव की पत्नी हैं। गणगौर पर्व शिव-पार्वती के विवाह प्रसंग से जुड़ा पर्व है। इसी कारण युवतियों को दूल्हा-दुल्हन बन बाना निकाला जाता है, जिसमें माता पार्वती रूपी रनुबाई को धनियर राजा रूप में भगवान शिव पूजन किया गया। यह एक धार्मिक चल समारोह है जो गणगौर पर्व के दौरान निकाला जाता है। यह पर्व वैवाहिक और दाम्पत्य सुख का प्रतीक माना जाता है। अविवाहित लड़कियां अच्छे पति के लिए और विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को गणगौर पर्व मनाया जाता है।