क्राइम-कंट्रोवर्सी

कोटक महिन्द्रा बैंक के समक्ष धोखाधड़ी के विरूद्ध सांकेतिक सत्याग्रह 12 मार्च से – आचार्य सत्यम् 

आरोप, कोटक महिन्द्र बैंक प्रबंधन उजैन के नागरिकों के साथ संपत्ति नीलामी के नाम पर अपने ग्राहकों तथा नागरिकों से धोखाधड़ी कर स्थायी संपत्तियों पर अवैध आधिपत्य एवं विक्रय के गौरख धंधे में लिप्त है

उज्जैन। मालव रक्षा अनुष्ठान के संयोजक आचार्य सत्यम् (सत्यनारायण पुरोहित अधिवक्ता) ने आरोप लगाया कि कोटक महिन्द्र बैंक प्रबंधन उजैन के नागरिकों के साथ संपत्ति नीलामी के नाम पर अपने ग्राहकों तथा नागरिकों से धोखाधड़ी कर स्थायी संपत्तियों पर अवैध आधिपत्य एवं विक्रय के गौरख धंधे में लिप्त है, जिसके विरूद्ध न्याय प्राप्ति के लिये आगामी 12 मार्च प्रातः 11 बजे से कोटक महिन्द्रा बैंक की दशहरा मैदान उज्जैन शाखा के समक्ष पीड़ित उपभोक्ता द्वारा सपरिवार सत्याग्रह आयोजित किया जावेगा, जिसका मालव रक्षा अनुष्ठान न्यायहित में समर्थन करता है तथा उज्जैन जिला एवं पुलिस प्रशासन से इस अपचारी बैंक के प्रबंधन के विरूद्ध कठोर दण्डात्मक एवं प्रतिबंधात्मक कार्यवाही की मांग करता है।
वक्तव्य में जानकारी दी गई है कि कोटक महिन्द्रा बैंक द्वारा भवन क्रं. 21 दानीगेट, उजैन की नीलामी टायगर आक्शन के नाम पर दिनांक 18.10.2019 को की थी तथा अधिकतम नीलामी बोली पंडित कोमल दुबे तलवारवाला द्वारा रूपये 32,25,000/- अधिकतम होने से स्वीकार की गई थी और भवन के विक्रय मूल्य की 25 प्रतिशत राशि 8,00,000/- रूपये उसी समय बोलीदार से प्राप्त कर लिये थे। बाद में नीलामी वाले भवन के पूर्व मालिक राठौर परिवार ने उच्च न्यायालय तथा डी.आर.टी. जबलपुर के समक्ष भी बैंक के विरूद्ध याचिकाएं एवं आवेदन प्रस्तुत किये जो निरस्त हुए और डी.आर.टी. जबलपुर ने सुशीलाबाई राठौर की अपील क्रं. 338/2019 दिनांक 14.11.2023 को निरस्त कर दी। कोटक महिन्द्रा बैंक द्वारा 30.11.2023 को नीलामी बोलीदार कोमल दुबे को लिखित सूचना देकर नीलामी की शेष राशि रूपये 24, 18,750/- तत्काल जमा करने का निर्देश दिया था कि नीलामी में खरीदे गये मकान का पंजीयन कोमल दुबे के नाम किया जा सके, नीलामी की संपूर्ण राशि तत्काल जमा किये जाने के बाद भी आज दिनांक तक कोटक महिन्द्रा बैंक ने विक्रय प्रमाण पत्र तक कोमल दुबे को नहीं दिया है तथा पूर्व भवन स्वामी से मिलकर बैंक एक व्यवहार वाद में स्थगन को आधार बनाकर माननीय उच्च न्यायालय तथा डी. आर. टी. जबलपुर के आदेश बैंक के पक्ष में और पूर्व भवन स्वामी के विरूद्ध होने के बावजूद नीलामी की शर्तों के अनुसार सर्वोच्च बोली लगाकर संपूर्ण नीलामी राशि 32,00,000/- रूपये जमा करने के बाद भी धोखाधड़ीपूर्वक पूर्व भवन स्वामी से सांठगांठ कर अपने उपभोक्ता एवं नीलामी बोलीदार के साथ छल कर रहा है तथा भवन की संपूर्ण विक्रय राशि हड़प कर 3 वर्ष से लकवे से पीड़ित बोलीदार जो बैंक का अकाउण्ट होल्डर भी है, उसके साथ बैंक प्रबंधन अन्याय कर रहा है, जिसके विरूद्ध न्याय प्राप्ति के लिये पीड़ित परिवार सत्याग्रह के लिये बाध्य है।

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