कीर्ति, धैर्य, सुख, समृद्धि, शक्ति, शांति, क्षमता एवं प्रसन्नता जैसे देवीय गुणों की पर्याय हैं कन्याएं
कन्या कौशल शिविर के समापन सत्र में हुआ दंपति सम्मेलन
उज्जैन। कीर्ति, धैर्य, सुख, समृद्धि, शक्ति, शांति, क्षमता एवं प्रसन्नता के पर्याय कन्याएं होती हैं। इनके इसी गुणों के कारण इनका श्रद्धा भाव से पूजन किया जाता है।
यह जानकारी कृष्णा शर्मा प्रांतीय समन्वयक शिक्षा आंदोलन गायत्री परिवार ने माकड़ोन में चल रहे चार दिवसीय जिला स्तरीय कन्या कौशल शिविर के समापन सत्र में दी। आपने बताया कि इन दिनों अनेक प्रकल्प चलाए जा रहे हैं जिनमें डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, प्रोफेसर, सीए आदि बनने के प्रशिक्षण आयोजित किया जा रहे हैं पर कुशल ग्रहणी बनने के, सुयोग माता बनने के प्रशिक्षणों का अभाव है। इसीलिए एक कन्या कौशल शिविर आयोजित किया गया था।
अंतिम सत्र में कन्याओं के अभिभावकों को दम्पति सम्मेलन के रूप में सफल दाम्पत्य पत्र जीवन के सूत्र देने के लिए आमंत्रित किया गया था। जिससे 35 से अधिक दम्पतियों ने भागीदारी की। इनका मार्गदर्शन करते हुए श्री शर्मा ने बताया कि आप बच्चों के सच्चे मित्र बनकर रहें कितने भी काम बिगड़ जाने पर भी इन्हें स्नेह प्यार से दूसरी ओर मुड़ने का, सुधार करने का अवसर देते रहें।
भागीदारी कर रहीं 197 कन्याओं को यहां शिविर के दौरान दैनिक दिनचर्या को सुव्यवस्थित करने, योग, ध्यान, मंत्र जाप, भोजन बनाने और करने की विधि, वीरांगनाओं की जीवन कथाएं, परीक्षा में अधिकतम अंक कैसे पाएं, प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कैसे तैयारी करें आदि जीवनोपयोगी विषयों का प्रारंभिक परिचय कराया गया।
प्रतिभागी कन्याओं ने अपने संस्मरण में बताया कि इस शिविर ने हमें आशा से ज्यादा दिया है। हमें ऐसी आशा नहीं थी कि यह सब हमें यहां बताया जाएगा। हम इसको अपने जीवन में प्रयोग करने का अभ्यास करेंगे।
शिविर समापन पर 8 बहिनों ने अपने मोहल्ले, गांव में बाल संस्कारशाला चलाने का संकल्प लिया। गायत्री परिवार के उज्जैन के उपझोन समन्वयक महेश आचार्य, जिला सामान्य नरेंद्र सिंह सिकरवार, वरिष्ठ गायत्री परिजन देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, राम प्रसाद सरिया, महेश बडिया, निशा धनोतिया ने प्रतिभागी कन्याओं को पुरस्कार एवं स्मृति चिन्ह प्रदान किए। कार्यक्रम का संचालन मुकेश पाटीदार ने किया एवं आभार एम एल सोनी ने व्यक्त किया।