कलागुरु प्रो. रामचंद्र भावसार की स्मरणांजलि में हुआ प्रो. आलोक भावसार का सारस्वत सम्मान
मध्यप्रदेश के अनेक चित्रकारों ने की भागीदारी

उज्जैन। कलागुरु स्वर्गीय प्रोफेसर रामचन्द्र भावसार के नब्बेवे जन्मदिवस पर कालिदास संस्कृत अकादमी के अभिरंग सभागृह में स्मरणाजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें मध्यप्रदेश के अनेक चित्रकारों ने भागीदारी की।
कार्यक्रम का शुभारंभ कवि कुलगुरु कालिदास के मूर्ति शिल्प एवं प्रो. रामचंद्र भावसार के व्यक्ति चित्र पर माल्यार्पण कर के किया गया। सांसद अनिल फ़ीरोज़िया की माताजी ने समस्त अतिथियों के साथ दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर डॉ. रामचन्द्र भावसार के पुत्र भोपाल के प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस, शा. हमीदिया महाविद्यालय के चित्रकला के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर आलोक भावसार का कला के क्षेत्र में किये गए अवदान कि लिये सारस्वत सम्मान किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि पूर्व संभागायुक्त एवं महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मोहन गुप्त ने प्रोफेसर रामचंद्र भावसार की सृजन यात्रा में उनके साथ बिताए हुए अनेक संस्मरणों को सुना कर दर्शकों और श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर सारस्वत अतिथि प्रो. हरिमोहन बुधौलिया, पूर्व विभागाध्यक्ष हिन्दी अध्ययन शाला, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन ने प्रोफेसर रामचन्द्र भावसार के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए उनके साथ विश्वविद्यालय में सेवारत रहते हुए अनेक संस्मरणों को सुनाया, कुलगुरु प्रो अर्पण भारद्वाज नें माधव विज्ञान महाविद्यालय परीसर में प्रोफेसर भावसार द्वारा सृजित स्वामी विवेकानन्द जी के मूर्ति शिल्प एवं वाग्देवी माँ सरस्वती के चित्र का उल्लेख करते हुए उनके अवदान पर प्रकाश डाला।
प्रोफ़ेसर रामराजेश मिश्र ने विक्रम विश्वविद्यालय परिसर में उनके कुलपति कार्यकाल में कलागुरु रामचन्द्र भावसार द्वारा सृजित एवं निर्मित सम्राट विक्रमादित्य के विशाल एवं भव्य मूर्तिशिल्प की सृजन यात्रा को विस्तार से रेखांकित करते हुए प्रो भावसार के सहज और सरल व्यक्तित्व को प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. श्रीकृष्ण जोशी ने बताया कि डॉ. भावसार उनके अग्रज थे एवं उन्होंने लंबे समय तक प्रो भावसार के साथ कार्य किया था, संस्कृत आचार्य प्रो. केदारनारायण शुक्ल ने संस्कृत के अनेक श्लोकों के साथ कला के क्षेत्र में प्रो. भावसार अनेक कीर्तिमानों को रेखांकित किया। प्रो शिव चौरसिया ने मालवा की लोक कला के माध्यम से सृजनकार प्रो. भावसार के योगदान को दर्शाया एवं अनेक चित्रित लोक कथाओं के उदाहरण प्रस्तुत किये, अकादमी के निर्देशक डॉ. गोविंद गंधे ने प्रो. भावसार से उनके संबंधों की चर्चा करते हुए कलाशिवीरों में प्रो. भावसार के योगदान को बताया, अकादमी की उपनिदेशक डॉ योगेश्वरी फिरोजिया ने अपने गुरु एवं माता के योगदान को सभा के सामने प्रस्तुत किया। उल्लेखनीय हैं कि इस अवसर पर डॉ योगेश्वरी फिरोजिया द्वारा प्रारम्भ से वर्तमान तक की कला यात्रा में डॉ. भावसार के मार्गदर्शन में बनाये गए अनेक चित्रों की भव्य प्रदर्शनी लगाई गई जिसका उद्घाटन इस अवसर पर किया गया। मंचासीन सभी अथितियों का सम्मान शॉल एवं श्रीफल के माध्यम से किया गया। विक्रम विश्वविद्यालय के ललित कला विभाग के छात्रों द्वारा डॉ भावसार के चित्र को आधार मान कर लक्ष्मीनारायण सिंघरोड़िया के मार्गदर्शन में पोर्ट्रेट रंगोली का निर्माण किया गया जिसको दर्शकों द्वारा खूब सराहा गया ।
कार्यक्रम संयोजिका डॉ. प्रीति जोशी ने स्वागत भाषण देते हुए अतिथियों का परिचय दिया। सह संयोजिका डॉ रोशनी यादव एवं डॉ सविता अरोरा ने स्वागत किया। कार्यकम में प्रो भावसार के देश भर से आए हुए शिष्यों एवं कलाकारों ने शिरकत की। कार्यक्रम में सनातन उपाध्याय, सुमन डोंगरे, सुनिला गुप्ता, हर्षा चेतवानी, महक, नितिन नागदेव, सखा पहवा, हिमांशी चौबे, जयेश त्रिवेदी, एवं भावसार परिवार के अनेक सदस्य उपस्थित रहे, कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. पाँखुड़ी वक्त ने किया।