पाठशाला

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में एथिक्स की भूमिका निष्पक्ष और मानवीय भलाई दिशा में हो : डॉ. लारेन शेबाशिर

’आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इन हेल्थकेयर’ विषय पर हुई अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी

उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय के कंप्यूटर विज्ञान संस्थान में ’आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इन हेल्थकेयर’ विषय पर एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
भारत सरकार एवं मध्य प्रदेश उच्च शिक्षा विभाग के द्वारा पीएम्-उषा योजना के अंतर्गत प्रायोजित इस अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरु, प्रो. अर्पण भारद्वाज ने इस आयोजन की सार्थकता को रेखांकित करते हुए कंप्यूटर विज्ञान संस्थान के प्रयासों की सराहना की एवं छात्रों को समग्र विकास के लिए इस प्रकार के आयोजनों में सहभागिता हेतु प्रेरित किया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि, कुलसचिव डॉ. अनिल कुमार शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे महत्वपूर्ण विषय पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन शिक्षको एवं छात्रों के लिए अत्यंत ही उपयोगी साबित होगा। कार्यक्रम के प्रारंभ में विषय प्रवर्तन करते हुए, प्रोद्योगिकी विज्ञान संकाय के संकाय-अध्यक्ष डॉ. उमेश कुमार सिंह ने संगोष्ठी के उद्देश्य एवं रूप-रेखा प्रस्तुत की। मुख्य विषय-विशेषज्ञ एवं मुख्य-वक्ता, आइवानसिटी स्कूल ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड डेटा साइंस, फ़्रांस के इंटरनेशनल डेवलपमेंट डायरेक्टर, डॉ. लारेन शेबाशिर ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आज हमारे जीवन के हर क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन ला रहा है, लेकिन हमें प्रोद्योगिकी के साथ-साथ एथिकल आस्पेक्ट्स को भी ध्यान में रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि जहां एक ओर यह तकनीक हमारे जीवन को सरल और अधिक प्रभावी बना रही है, वहीं दूसरी ओर इससे जुड़ी एथिकल (नैतिक) जिम्मेदारियाँ भी उतनी ही महत्वपूर्ण हो जाती हैं। इस अवसर पर पीएम्-उषा योजना के नोडल ऑफिसर डॉ. कमलेश दसोरा ने पीएम्-उषा योजना के अंतर्गत आयोजित होने वाली विभिन्न गतिविधियों की जानकारी प्रदान की।
अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के तकनिकी सत्र में मुख्य विषय विशेषज्ञ, डॉ. लारेन शेबाशिर ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में भविष्य में होने वाले परिवर्तनों एवं इससे कारण निर्मित होने वाले विभिन्न प्रकार के रोजगार के अवसरों को प्रतिभागियों के साथ साझा किया। इंटरैक्टिव सत्र में डॉ. लारेन शेबाशिर ने प्रतिभागियों के प्रश्नों का समाधान करते हुए बताया की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग में एथिकल मुद्दों पर ध्यान देना इसलिए ज़रूरी है क्योंकि यह सीधे तौर पर समाज के हर वर्ग को प्रभावित करता है। जब एक मशीन निर्णय लेती है, चाहे वह किसी मरीज का निदान हो या किसी दवाई की सिफारिश,तो यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि वह निर्णय निष्पक्ष, पारदर्शी और मानवता की भलाई को ध्यान में रखते हुए लिया गया हो। समापन सत्र में “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं स्टार्ट-अप” विषय पर एक विशिष्ट सत्र का भी आयोजन किया गया। विशिष्ट सत्र सत्र के आयोजन के उद्शेय को समझाते हुए इन्चुबेसन केंद्र के नोडल ऑफिसर डॉ. लोकेश लधानी ने इन्चुबेसन केंद्र के द्वारा किये जाने वाली विभिन्न गतिविधिओ की जानकारी साझा की। इस अवसर पर कंप्यूटर विज्ञान संस्थान के छात्र जयेश यादव एवं राज भार्गव ने स्वच्छ भारत योजना से सम्बंधित स्मार्ट डस्ट-बीन स्टार्ट-अप की जानकारी प्रतिभागियो के साथ साझा कर शुभारम्भ किया गया। अंत में संस्थान के प्रभारी निदेशक डॉ. रामजी यादव ने समस्त अथितियो, वक्तायो, संसथान के निदेशक डॉ. कमल बुनकर, आयोजन समिति के डॉ. भूपेंद्र पंड्या, डॉ. शेखर दिसावल, डॉ. लोकेश लाध्धानी, डॉ. गीतिका सिंह, डॉ. लोकेश राठौर, डॉ. कीर्ति दीक्षित, डॉ. ब्रम्हदत्त शुक्ल, डॉ. प्रज्ञा सिंह एवं छात्रों का के प्रति आभार व्यक्त किया। अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के समस्त सत्रों का संचालन संस्थान की छात्रा तनिषा चंदेल एवं ख़ुशी पंवार ने किया। इस संगोष्ठी में विश्वविद्यालय एवं प्रदेश के महाविद्यालयो के २०० से अधिक शिक्षको एवं छात्रों ने सहभागिता की।

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