आचार्यश्री डॉ. गोस्वामी पू.पा. श्री बृजोत्सवजी महाराज से 45 वैष्णवजन ने ली ब्रह्म संबंध दीक्षा
ब्रह्म संबंध दीक्षा जगतगुरु वल्लभ सम्प्रदाय की प्रमुख दीक्षा है

उज्जैन। सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत के दौरान 45 वैष्णवजनों ने आचार्य श्री डॉ. गोस्वामी जी से ब्रह्म संबंध दीक्षा ली। सोमयज्ञ सम्राट आचार्य श्री डॉ. गोस्वामी पू.पा. श्री बृजोत्सवजी महाराज श्री ने कहा कि भागवत कथा रसपान महोत्सव एवं 108 भागवतजी पारायण के अंतर्गत सांदीपनी आश्रम के समीप महाप्रभुजी की बैठक यहां ब्रह्म संबंध दीक्षा दी गई। ब्रह्म संबंध दीक्षा जगतगुरु वल्लभ सम्प्रदाय की प्रमुख दीक्षा है।
मीडिया प्रभारी दीपक राजवानी ने बताया कि श्री वल्लभ वैष्णव मण्डल, महिला मण्डल एवं युवा मण्डल के संस्थापक संयोजक विट्ठल नागर के मार्गदर्शन में सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा रसपान महोत्सव एवं 108 भागवतजी पारायण का आयोजन किया गया। आचार्य श्री डॉ. गोस्वामी जी ने बताया कि भगवान शंकर पार्वती से कहते हैं कि जिसने दीक्षा नहीं ली जो अदीक्षित है उसका कोई भी किया हुआ कार्य धर्म, कर्म, तीर्थ यात्रा आदि वह सब विफल ही नहीं होती अपितु अनर्थकाली हो जाती है और उसका उल्टा फल प्राप्त होता है। इसलिए जीवन में दीक्षा बड़ा महत्व है। ब्रह्म संबंध दीक्षा का मूल मंत्र है श्री कृष्ण शरणमम, और यह मंत्र अष्टांग मंत्र है और यह महा मंत्र है।
आचार्य श्री डॉ. गोस्वामी जी ने आगे बताया कि जो भी व्यक्ति ब्रह्म संबंध दीक्षा लेता है उसे इतना ध्यान रखना चाहिए कि वह प्रातःकाल, भोजन से पहले और रात में सोने से पहले आठ बार इस अष्टांग मंत्र का जाप करें ताकि उससे शुद्धिकरण हो जाए। इस अवसर पर बड़ी संख्या में वैष्णवजन उपस्थित थे और उन्होंने आचार्य श्री डॉ. गोस्वामी जी से ब्रह्म संबंध दीक्षा ली। सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत के दौरान विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें गरबा रासलीला, भजन संध्या, बच्चों के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम, दीपदान, नंद महोत्सव, तुलसी विवाह सहित साथ ही केसर जल से सैकड़ों लोगों ने सोमयज्ञ सम्राट आचार्य श्री डॉ. गोस्वामी पू.पा. श्री बृजोत्सवजी महाराज श्री को केसर स्नान कराया।