धर्म-अध्यात्म
अहिंसा हमारा परम धर्म है किंतु धर्म को बचाने हेतु हिंसा भी आवश्यक
व्यक्तिगत उन्नति से पहले समाज और राष्ट्र की उन्नति करें-आचार्य श्रुतबंधु
समाज राष्ट्र प्रबल होगा तभी धर्म बचेगा- श्री गोयल
आर्य समाज में मनाया श्रद्धानंद बलिदान दिवस
उज्जैन। अहिंसा हमारा परम धर्म है किंतु धर्म को बचाने हेतु हिंसा भी आवश्यक है। विधर्मियों द्वारा भारत की धार्मिक सांस्कृतिक परंपराओं को नष्ट करने का प्रयास किया जा रहा है। आज नई पीढ़ी को आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ हमारे समृद्ध इतिहास परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ना होगा। शुद्धि आंदोलन घर वापसी के प्रणेता स्वामी श्रद्धानंद का बलिदान तभी सार्थक होगा।
उक्त विचार आर्ष गुरुकुल नर्मदा पुरम से पधारे आचार्य श्रुतबंधु ने श्रद्धानंद बलिदान दिवस पर आर्य समाज उज्जैन में व्यक्त किए। अध्यक्षीय उद्बोधन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नगर के सह कार्यवाह मनीष गोयल ने कहा भारत के परम वैभव को हमको पुनः प्रतिष्ठित करना है। 1100 वर्ष में विधर्मियों ने हमारी संस्कृति को नुकसान पहुंचाया है। हमें शास्त्र के साथ शस्त्र और माला के साथ भाला साथ में लेना होगा। हमारा समाज और राष्ट्र प्रबल होगा तभी हम धर्म और संस्कृति की रक्षा कर सकेंगे। रा.स्वयंसेवक संघ अपने अनेक अनुसांगिक संगठनों के कार्यकर्ताओं माध्यम से ग्राम और नगर के प्रत्येक परिवारों तक पहुंचकर धर्म एवं संस्कृति रक्षा का संदेश दे रहा है। कवि अशोक भाटी ने कहा कि आज भारत में सत्य सनातन वैदिक धर्म को पुनः जनमानस में प्रतिष्ठित करने की आवश्यकता है। प्रारंभ में आचार्य पंडित राजेंद्र व्यास के ब्रम्हत्व में राष्ट्र रक्षा यज्ञ में वेद मत्रों से आहुतिया दी गई। दीप प्रज्वलन के साथ प्रारंभ हुए कार्यक्रम में ईश प्रार्थना मदनलाल कुमावत ने प्रस्तुत की। भजनों की प्रस्तुति संपत पाटीदार ने दी। कार्यक्रम की भूमिका और अतिथियों का स्वागत मंत्री नवनीत सिकरवार और प्रधान सुरेश पाटीदार ने किया। संचालन पूर्व प्रधान ओम प्रकाश यादव ने किया और आभार उप मंत्री ललित नागर ने व्यक्त किया। इस अवसर पर आर्य समाज, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, हम हिंदुस्तानी समूह के अनेक पदाधिकारी और नगर के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। वैदिक जयघोष श्री मालाकार ने किया। शांति पाठ और प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।
आर्य समाज में मनाया श्रद्धानंद बलिदान दिवस
उज्जैन। अहिंसा हमारा परम धर्म है किंतु धर्म को बचाने हेतु हिंसा भी आवश्यक है। विधर्मियों द्वारा भारत की धार्मिक सांस्कृतिक परंपराओं को नष्ट करने का प्रयास किया जा रहा है। आज नई पीढ़ी को आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ हमारे समृद्ध इतिहास परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ना होगा। शुद्धि आंदोलन घर वापसी के प्रणेता स्वामी श्रद्धानंद का बलिदान तभी सार्थक होगा।
उक्त विचार आर्ष गुरुकुल नर्मदा पुरम से पधारे आचार्य श्रुतबंधु ने श्रद्धानंद बलिदान दिवस पर आर्य समाज उज्जैन में व्यक्त किए। अध्यक्षीय उद्बोधन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नगर के सह कार्यवाह मनीष गोयल ने कहा भारत के परम वैभव को हमको पुनः प्रतिष्ठित करना है। 1100 वर्ष में विधर्मियों ने हमारी संस्कृति को नुकसान पहुंचाया है। हमें शास्त्र के साथ शस्त्र और माला के साथ भाला साथ में लेना होगा। हमारा समाज और राष्ट्र प्रबल होगा तभी हम धर्म और संस्कृति की रक्षा कर सकेंगे। रा.स्वयंसेवक संघ अपने अनेक अनुसांगिक संगठनों के कार्यकर्ताओं माध्यम से ग्राम और नगर के प्रत्येक परिवारों तक पहुंचकर धर्म एवं संस्कृति रक्षा का संदेश दे रहा है। कवि अशोक भाटी ने कहा कि आज भारत में सत्य सनातन वैदिक धर्म को पुनः जनमानस में प्रतिष्ठित करने की आवश्यकता है। प्रारंभ में आचार्य पंडित राजेंद्र व्यास के ब्रम्हत्व में राष्ट्र रक्षा यज्ञ में वेद मत्रों से आहुतिया दी गई। दीप प्रज्वलन के साथ प्रारंभ हुए कार्यक्रम में ईश प्रार्थना मदनलाल कुमावत ने प्रस्तुत की। भजनों की प्रस्तुति संपत पाटीदार ने दी। कार्यक्रम की भूमिका और अतिथियों का स्वागत मंत्री नवनीत सिकरवार और प्रधान सुरेश पाटीदार ने किया। संचालन पूर्व प्रधान ओम प्रकाश यादव ने किया और आभार उप मंत्री ललित नागर ने व्यक्त किया। इस अवसर पर आर्य समाज, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, हम हिंदुस्तानी समूह के अनेक पदाधिकारी और नगर के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। वैदिक जयघोष श्री मालाकार ने किया। शांति पाठ और प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।