अनुसंधान समाज विज्ञान की आधारशिला है : आचार्य शैलेन्द्र पाराशर
“अनुसंधान प्रतिवेदन लेखन“ विषय पर व्याख्यान
उज्जैन। प्राचीन काल से आधुनिक युग तक की यात्रा में मनुष्य अपनी आवश्यकताओं, समस्याओं एवं जीवनोपयोगी संसाधनों की पूर्ति के लिए अनुसंधानों के माध्यम से समाधान ढूंढने के लिए सदैव प्रयत्नशील रहा है। सामाजिक विज्ञान में शोध लेखन मानव व्यवहार संबंधों और सामाजिक संरचनाओं की जटिलता को सुलझाने में सक्षम बनाता है। अनुसंधान समाज विज्ञान की आधारशिला है।
उक्त उद्गार समाज वैज्ञानिक आचार्य शैलेंद्र पाराशर ने सामाजिक विज्ञान शोध संस्थान, उज्जैन में ’समाज विज्ञानों में अनुसंधान अभिमुखीकरण’ विषय के पांच दिवस कार्यक्रम के तृतीय दिवस के सत्र् में “अनुसंधान प्रतिवेदन लेखन“ विषय पर व्याख्यान में संबोधित करते हुए व्यक्त किये। आचार्य पाराशर ने कहा कि व्यक्ति, समाज, राष्ट्र एवं विश्व के विकास में सामाजिक विज्ञान के अनुसंधानों से महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया है। वहीं भविष्य की आने वाली पीढ़ियों के लिए नवीन अनुसंधानों का मार्ग भी प्रशस्त किया है। सामाजिक विज्ञान अनुसंधान अक्सर अंतःविषयों के सहयोग से लाभान्वित होते एवं नवीन अनुसंधानों के विविध आयामों से निष्कर्ष प्रस्तुत कर नवाचारों की राह प्रशस्त कर रहे हैं।
कार्यक्रम में मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार और छत्तीसगढ़ सहित विभिन्न राज्यों के 35 शोध विद्वान भाग ले रहे हैं। कार्यक्रम का संचालन शोधार्थी सुमित कुमार झा ने किया।