“अनन्या की कैंसर डायरी“, “मिराज“ ज़िद जीवन को जीने की
39वें राष्ट्रीय नाट्य समारोह में “मिराज“ ने दिया संदेश, जिंदगी के एक पल का भी नाम जिंदगी है

उज्जैन। अभिनव रंगमंडल द्वारा आयोजित 39वें राष्ट्रीय नाट्य समारोह में 23 फरवरी को राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के युवा स्नातक, बिस्मिल्लाह पुरस्कार प्राप्त रंगकर्मी रणधीर सिंह के निर्देशन में अनन्या मुखर्जी द्वारा लिखित कैंसर डायरी (ठहरती सांसों के सिरहाने जब जिंदगी मौज ले रही थी) पर आधारित नाटक ‘मिराज’ का मंचन हुआ। नाटक मिराज में कैंसर से लड़ती युवती की कहानी नजर आई जो मानो अपनी हर सांस के द्वारा जिजीविषा मांग रही हो।
वरिष्ठ रंगकर्मी शरद शर्मा के अनुसार भारत सरकार संस्कृति विभाग के सहयोग से आयोजित समारोह में तीसरे दिन नाटक मंचन का शुभारंभ डॉ शरद शर्मा, डॉ जितेंद्र भटनागर, डॉ सुरेश शर्मा, प्रो रामराजेश मिश्र, शशिभूषण द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया। पत्रकार ललित सक्सेना को श्रीमती रश्मि मिश्रा की स्मृति में स्थापित 5000/- की राशि का सांस्कृतिक पत्रकारिता पुरस्कार प्रदान किया गया। संचालन पांखुरी वक्त ने किया।
अभिनव रंगमंडल प्रमुख शरद शर्मा ने कहा कि दीक्षा, भरत मुनि द्वारा बनाए गए मापदंडों आंगिक, वाचिक, आहार्य, सात्विक में पूरी तरह से खरी उतरती है। ये नाटक कैंसर के मरीजों के लिए एक अलग परिप्रेक्ष्य बनाता है। जो कि काफी सराहनीय और काबिले तारीफ है। अभिनव रंगमंडल प्रमुख शरद शर्मा ने बताया कि भारत पाकिस्तान के मैच के बावजूद प्रेक्षागृह खचाखच भरा रहा और पूरे मंचन के दौरान लोगों का उत्साह देखकर ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि हम एक समृद्ध रंगमंच को बनाने की दिशा में सफल हो रहे हैं। इस नाटक का निर्देशन देश के सुप्रसिद्ध और बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार से पुरस्कृत राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय स्नातक रणधीर कुमार ने किया। रणधीर कुमार पेशे से निर्देशक है और वे प्रयोगात्मक अनोखी सेट डिजाइन की शैली और दमदार लाइट डिजाइन, व विभिन्न नाटकों के लिए किए जाने वाले अनूठे प्रयोगों के लिए जाने जाते हैं। नाटक का आर्ट डिजाइन पक्ष संभाला था विशाला आर म्हाले ने जो कि रा.ना.वि स्नातक और पेशे से साउंड डिजाइनर हैं। साउंड पे राजीव राय, बैकस्टेज टीम में सुनील बिहारी, नाटक का सेट सुनील और विनय ने किया।
कैंसर हमारे सोचने विचारने की प्रक्रिया के दौरान एक किस्म के मेनिफेस्टेशन की प्रक्रिया से गुजर रहा है, या थोड़े बहुत शरीर में कैंसर के लक्षण होने के बावजूद मनोवैज्ञानिक तौर पर लोगों द्वारा आपके जीवन में आपकी सोच में कैंसर को जन्म दिया जा रहा है क्योंकि बीमारी से तो फिर भी लड़ा जा सकता है पर विकारिक वृत्ति से नहीं 2016 में वृत्ति शुरू होते होते 2018 में मेटास्टेसिस की अवस्था में जा पहुंची। 3 साल की इस वैकारिक यात्रा में बीमारी से ज्यादा जीवन न जी पाने की लालसा सता रही है। शनिवार की पब वाली उसकी क्लबिंग वाली सराउंडिंग जो अब नाचते गाने के साथ साथ उसे भावुकता भरी निगाहों से देख रही थी और कुछ ही देर में बिना बैक रेस्ट वाली चेयर भी उसके इंतजार में होगी। अनन्या आगे कहती है कि एकांकीपन को स्वीकार कर लें तो एक अच्छा दोस्त पाने की संभावना बढ़ जाती है। वो बता रही है, कि जिंदगी का एक दिन भी जिंदगी है। जीवन एक पल में पूरा जिया जा सकता है और एक पल में पूरा जीवन बेमतलब भी हो सकता है। 50 बार से अधिक कीमोथेरेपी के बाद भी जिंदगी, उसके अस्थाई स्वरूप उसकी नजाकत, लोगों के सामाजिक मूल्यों को बढ़ा चढ़ाकर दिखाने की कला को ठेंगा दिखाता है। जिंदादिली से जीते जीते आखिकार अनन्या कैंसर से लड़ाई हार जाती है। एक कैंसर पीड़िता के इलाज के दौरान की आप बीती को दीक्षा तिवारी ने एकल अभिनय और गायकी के माध्यम से बेहद दमदार तरीके से प्रस्तुत किया है। नाटक के दौरान दर्शकों के बीच समा बांधने में दीक्षा सक्षम रहीं उन्होंने दर्शकों को भावविभोर कर दिया।
समारोह की समापन संध्या पर आज 24 फरवरी को वरिष्ठ रंगकर्मी शरद शर्मा के निर्देशन में ज्यां पाल सात्र द्वारा रचित मनोज भालेंदु कश्यप द्वारा अनूदित संभ्रांत वेश्या प्रस्तुत होगा। कार्यक्रम कालिदास अकादमी के अभिरंग नाट्य गृह में प्रतिदिन संध्या 7 बजे प्रस्तुत किये जाएंगे, नाटक अपने निर्धारित समय पर ही आरंभ होंगे।