कला का कोना
‘अदाकार आदि अंत की साखी’ में दिखी ‘एक अदाकार के संघर्ष की दास्तान’
अभिनव रंगमंडल द्वारा आयोजित 39वें राष्ट्रीय नाट्य समारोह का शुभारंभ

अदाकार ने बयान की पात्रों की पीड़ा, रंगमंच के रंगों से भरपूर नाटक अदाकार की सफल पेशकारी
उज्जैन। अभिनव रंग मंडल द्वारा आयोजित 39वें राष्ट्रीय रंगमंच उत्सव के पहले दिन मंच रंगमंच अमृतसर की तरफ से डॉ. स्वराजबीर का लिखा हुआ और केवल धालीवाल का निर्देशित नाटक ‘अदाकार आदि अंत की साखी’ का मंचन किया गया। यह नाटक एक अदाकार के शुरू होने से उसके आखिर तक की कहानी है। इस नाटक में एक अदाकार के शुरू से लेकर उसके सफल होने तक की कहानी को बखूबी पेश किया गया।
वरिष्ठ रंगकर्मी शरद शर्मा ने बताया कि अभिनव रंगमंडल द्वारा 21 फरवरी से 24 फरवरी तक आयोजित होने वाले 39वें राष्ट्रीय नाट्य समारोह का शुभारंभ प्रो. डॉ गोपाल शर्मा, मनोहर बैरागी, सतीश गौड़, नाटक के निर्देशक केवल धारीवाल ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। साथ ही युवा रंग गर्मी मुस्कान गोस्वामी को 11,000/ की राशि का अभिनव राष्ट्रीय रंग सम्मान प्रदान किया गया। मुस्कान गोस्वामी युवा रंगकर्मी हैं, उन्होंने नाट्य विद्यालय से डिप्लोमा प्राप्त किया है तथा वो स्लम्स एरिया के बच्चों के साथ, रेड लाइट एरिया में महिलाओं के साथ और आर्मी के लोगों के साथ निरंतर कार्य कर रहे हैं।
शरद शर्मा के अनुसार भारत सरकार संस्कृति विभाग के सहयोग से आयोजित इस समारोह के पहले दिन 21 फरवरी को मंच रंगमंच अमृतसर द्वारा केवल धालीवाल के निर्देशन में “अदाकार आदि अंत की साखी“ नाटक प्रस्तुत किया गया। जिसमें एक कलाकार कैसे अपने नाटकों के पात्रों को पेश करता करता खुद नाटक हो जाता है और उसकी जिंदगी के संघर्ष कभी खत्म नहीं होते। नाटक को बहुत खूबसूरत संगीत से सजाया गया। नाटक की पेशकारी के दौरान मंच पर रखे गए नाटकीय वस्त्र और रंगमंच सामग्री को बहुत खूबसूरती से एक कलाकार अपने पत्रों के साथ पेश करता है। यह एकल अभिनेता का शिखर मंचन था। जिसमें एक अदाकार ही बहुत सारे पत्रों को जीवंत रूप में पेश करता है। वह कभी बूढ़े बाप का रूप बन जाता है तो कभी नौजवान बेटे का रूप पेश करता है। एक ऐसे बेटे का रूप जिसे नशे की लत लग गई है और कैसे वह नशे में डूबता डूबता जिंदगी से हाथ धो बैठता है। इसी तरह से वह महाराजा रणजीत सिंह के पात्र को पेश करता है, एक गरीब मजदूर के पात्र को पेश करता है। एक पुलिस वाले के पात्र को भी पेश करता है। बहुत सारे पत्रों को पेश करते-करते उनमें डूब जाता है और उन पत्रों की जिंदगी का हिस्सा बन जाता है और इन सारी चीजों को पेश करते हुए अलग-अलग रूप में पेश हुए अदाकार साजन कोहिनूर ने सारे ही पत्रों के साथ बखूबी इंसाफ किया, इन सारे पत्रों को पेश करते हुए उनके साथ संगीत और गायकी के खूबसूरत सुमेल को कुशाग्र कालिया ने पेश किया। बहुत ही खूबसूरत रोशनी प्रभाव को युवनीश नायक ने पेश किया और अलग-अलग पत्रों को पेश करते हुए केवल धालीवाल की डिजाइनिंग और उनका निर्देशन अपने आप में एक शिखर बन जाती है। राष्ट्रीय रंगमंच उत्सव के पहले दिन इस तरह की पेशकारी का होना उज्जैन में अपने आप में राष्ट्रीय नाट्य उत्सव का भी शिखर बन जाता है।
22 फरवरी को विहान ड्रामा ग्रुप भोपाल द्वारा, युवा रंगकर्मी सौरभ अनंत का नाट्य लेख उन्हीं के द्वारा परिकल्पित और निर्देशित “गांधी गाथा“ प्रस्तुत किया जाएगा । 23 फरवरी को राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के यूवा स्नातक, बिस्मिल्लाह पुरस्कार प्राप्त रंगकर्मी रणधीर सिंह के निर्देशन में अनन्या मुखर्जी द्वारा रचित “मिराज“ नाटक की प्रस्तुति रागा पटना द्वारा की जायेगी।
इसी दिन ललित सक्सेना को श्रीमती रश्मि मिश्रा की स्मृति में स्थापित 5000/- की राशि का सांस्कृतिक पत्रकारिता पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।
समारोह की समापन संध्या पर 24 फरवरी को वरिष्ठ रंगकर्मी शरद शर्मा के निर्देशन में ज्यां पाल सात्र द्वारा रचित मनोज भालेंदु कश्यप द्वारा अनूदित संभ्रांत वेश्या प्रस्तुत होगा। कार्यक्रम कालिदास अकादमी के अभिरंग नाट्य गृह में प्रतिदिन संध्या 7 बजे प्रस्तुत किये जाएंगे, नाटक अपने निर्धारित समय पर ही आरंभ होंगे।