अत्याधुनिक सुविधाओं का त्याग कर, एक दिन जिया गांव का जीवन
सार्थक ग्रुप का अनूठा आयोजन, सदस्यों ने ग्रामीण वेशभूषा में चूल्हे पर बाजरे की रोटी बनाई, सितोलिया खेले एवं बैलगाड़ी चलाई

उज्जैन। जैन सोशल ग्रुप सार्थक द्वारा अपने सदस्यों के लिए एक अनूठा आयोजन किया गया। ग्रुप द्वारा शहर से दूर देवास रोड़ पर 22 बीघा पर एक पूरा गांव बसाया गया जिसमें रहने के लिए झोपड़िया, आने जाने हेतु बैलगाड़िया, खाना पकाने के लिये मिट्टी चूल्हे एवं मिट्टी के बर्तन आदि की व्यवस्था की गई। सर्वप्रथम सदस्यों को लोक गीत की धुनों पर बैलगाड़ी में बैठा कर गांव में प्रवेश कराया गया। जिसके पश्चात सभी को ग्रामीण वेशभूषा एवं आभूषण धारण करवाये गए।
सदस्यों ने सारी अत्याधुनिक सुविधाओं का त्याग कर ग्रामीण जीवन व्यतीत किया जैसे कार की जगह बैलगाड़ी, गैस चूल्हे की जगह लकड़ी का चूल्हा, मोबाइल गेम की जगह सितोलिया, रस्सा कशी, कंचे, लंगड़ी पव्वा आदि खेल खेले। साथ ही सदस्यों ने बचपन की यादों को ताजा करते हुए बोरकुट, कबीट की चटनी, भाया नमकीन का चटपटा स्वाद लिया। वहीं हाथों हाथ बनी लाख की चूड़ी ने भी सभी महिलाओं को खूब आकर्षित किया, एक तरफ हाथ से फेटने वाली लस्सी की भी व्यवस्था की गई थी जो कि सभी को बहुत भाई। कार्यक्रम लगभग 70 दंपत्ति सदस्यों ने हिस्सा लिया। आगामी ग्रीष्म ऋतु को ध्यान में रखते हुए सभी सदस्यों को अपनी अपनी छत आंगन में मूक पक्षियों के लिए पानी के सकोरे रखनें के लिए भी संस्था के आशीष नांदेचा ने सबको संकल्पित किया गया। कार्यक्रम में विशेष आकर्षण राजस्थान से बुलवाए गए कालबेलिया नृत्य कलाकार रहे, जिन्होंने अपने पारंपरिक अंदाज में प्रस्तुति देकर खूब तालिया बटोरी। कार्यक्रम का संचालन कविता कासलीवाल, अंशु बाफना एवं प्रिया नांदेचा ने किया, वहीँ आभार पूर्व अध्यक्ष संजय सूर्या एवं संस्था सचिव अखिल जैन ने माना। कार्यक्रम संयोजक धीरेंद्र जैन रहे तथा सभी विजेताओं को पुरस्कार संस्थापक अध्यक्ष अमित कावड़िया, अध्यक्ष हेमन्त कासलीवाल एवं आगामी सत्र के अध्यक्ष राजेश पटनी ने दिए।