धर्म-अध्यात्म

अज्ञान विद्या और पाखंड से मुक्त करने आए थे महर्षि दयानंद आचार्य धर्मदेव

ऋषि दयानन्द का जन्मोत्सव नवीन संकल्पो का पर्व आचार्य जीवन

आर्य समाज मंदिर में मनाया महर्षि दयानंद का 200 वा जन्म दिवस
उज्जैन। समाज सुधार और वेदोद्धार के संवाहक महर्षि दयानंद अज्ञान अविद्या पाखंड से लोगों को मुक्त करने आए थे, ऋषि दयानंद का वैदिक दर्शन तर्क और प्रमाण से युक्त था। उन्होंने हमें अज्ञान अंधकार से निकलकर वेद रूपी सूर्य के दर्शन कराए, उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करना हमारा कर्तव्य है।
उक्त विचार गुरुकुल के आचार्य धर्मदेव ने ऋषि जन्मोत्सव पर आर्य समाज मंदिर में व्यक्त किये। आचार्य जीवनप्रकाश आर्य ने कहा महर्षि दयानंद ने धार्मिक क्रांति सामाजिक सुधार, अछूतोद्धार, नारी जाति का उद्धार किया। आज ऋषि के अधूरे संकल्प को पूरे करने की आवश्यकता है। हम महर्षि के जीवन से प्रेरणा लेकर मन में अंतस में ज्ञान का दीप प्रज्ज्वलित करें। कार्यक्रम के प्रारंभ में मुख्य यजमान उपमंत्री ललित नागर एवं आर्यजनों द्वारा वृहद देवयज्ञ में वैदिक मत्रों से आहुति दी गई। ईश प्रार्थना विश्वजीत शर्मा ने प्रस्तुत की और भजन आर्य ने प्रस्तुत किये। यज्ञ चिकित्सा महोत्सव से लौटे राजेश तिवारी ने अपने संस्मरण प्रस्तुत किये। संचालन डॉ रामप्रसाद मालाकार ने किया और आभार प्रधान सुरेश पाटीदार ने व्यक्त किया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से स्वप्निल व्यास, वेदप्रकाश आर्य, नरेंद्र भावसार, जितेंद्र भावसार, गोपाल सोनी, नंदकिशोर टांडी आदि उपस्थित रहे। वैदिक जय घोष और प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।

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